वॉशिंगटन/काबुल (रफ़्तार न्यूज़ ब्यूरो) : अमेरिकी सेना (US Army) की वापसी के बाद से अफगानिस्तान (Afganistan) में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. तालिबान (Taliban) एक के बाद एक इलाकों पर कब्जा जमा रहा है और आतंक फैला रहा है. तालिबानी लड़ाकों के डर से लाखों लोग घर छोड़ने को मजबूर हैं. इस बीच अमेरिका (America) ने अपने सैनिकों के साथ अफगानिस्तान से उन लोगों को भी बाहर निकालने का फैसला किया है, जिन्होंने तालिबान से जंग लड़ने में अमेरिकी सैनिकों की मदद की थी. ऐसे अफगानी लोगों की संख्या कितनी होगी, इसका डेटाबेस तैयार किया जा रहा है.
वॉशिंगटन टाइम्स की एक रिपोर्ट में ये जानकारी दी गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान से लड़ने में अमेरिकी सैनिकों की मदद करने वाले अफगानी नागरिक अब चिंतित हैं कि यूएस के जाने के बाद तालिबानी उनका क्या हाल करेंगे. इन लोगों को मजबूरी में या तो तालिबान जॉइन करना पड़ेगा. या तालिबान के लड़ाके उनकी बेरहमी से हत्या कर देंगे.
रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि जो लोग पहले से ही विशेष अप्रवासी वीजा ( SIVs) पाने की प्रक्रिया में हैं, उनके लिए अफगानिस्तान से उड़ानें जुलाई के आखिरी हफ्ते में शुरू हो जाएंगी. अफगान सेना (Afganistan Army) के जवान 376 जिलों में से 150 में तालिबान (Taliban) से लड़ रहे हैं। देश का एक-तिहाई हिस्सा सक्रिय लड़ाई में है. अकेले अप्रैल 2021 से देश में दो लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं, जिसमें करीब 4,000 लोग मारे गए हैं.
इस बीच अफगानिस्तान सरकार और तालिबानी विद्रोहियों के बीच बातचीत भी जारी है. समस्या यह है कि एक तरफ विद्रोही गुट जहां टेबल पर बातचीत कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उनके लड़ाके सीमाई इलाकों को कब्जे में ले रहे हैं. कई रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि दोहा में हो रही शांति वार्ता काफी हद तक फेल हो चुकी है. ऐसे में तालिबान अब पूरी तरह से क्रूर नियमों और हथियार के दम पर शासन करना चाहता है. करीब 2 दशक तक अफगानिस्तान में रह रहे अमेरिकी सैनिकों की वापसी जारी है. यूएस सेंट्रल कमांड ने इसी हफ्ते बताया था कि करीब 95% सैनिक US लौट चुके हैं. वो 31 अगस्त तक पूरी तरह से अपने देश लौट जाएंगे. पहले ये डेडलाइन 11 सितंबर रखी गई थी.