(रफ़्तार न्यूज़ ब्यूरो) : हिमाचल में गुरुवार, 15 जुलाई से 5000 करोड़ के सेब सीजन में तेजी आएगी। प्रदेश में सेब ढुलाई के लिए ट्रकों की आवाजाही को सुचारु करने के लिए दो नियंत्रण कक्ष स्थापित कर दिए हैं। प्रदेश में पिछले साल ढाई करोड़ पेटी सेब का उत्पादन हुआ था। इस बार सीजन में करीब चार करोड़ पेटी सेब पैदावार होने का पूर्वानुमान लगाया गया है। सेब सीजन में बागवानों को कार्टन की दिक्कत न हो और सेब ढुलाई के लिए ट्रकों की समस्या न रहे इसके लिए सरकार ने व्यवस्था को अंतिम रूप दे दिया है। लदानियों का पंजीकरण किया जा रही है और क्रेटों की बिक्री पर भी अंतिम फैसला लिया जाना है ताकि बागवानों को कार्टन पर निर्भर न रहना पड़े।
प्रदेश के बागवानों की सेब की फसल पर इस बार मौसम की मार पड़ी है। बेमौसमी बर्फ के कारण बगीचों में सेब के पेड़ों को ज्यादा नुकसान हुआ है। बागवानों ने एंटीहेल नेट लगाए थे और ये बर्फ से तबाह हुए और साथ ही फलदार पेड़ों को भी नुकसान पहुंचा है। शिमला-किन्नौर मंडी समिति के अध्यक्ष नरेश शर्मा ने कहा कि गुरुवार को पराला मंडी में बागवानों के लिए कंपनियां प्लास्टिक क्रेट उपलब्ध कराएंगे। ये क्रेट एक बार इस्तेमाल होंगे। क्रेट का रेट 90 रुपए रहेगा। इसके साथ ही 50 फीसदी खर्च बागवान और शेष 50 फीसदी खर्च लदानी वहन करेगा। सेब पैकिंग के लिए कार्टन पर निर्भरता कम हो सकेगी।
प्रदेश सरकार ने जिला शिमला और किन्नौर में सेब सीजन में तेजी को देखते हुए फागू और नेरीपुल में नियंत्रण कक्ष स्थापित कर दिए हैं। इन नियंत्रण कक्ष से सेब की ढलाई के लिए ट्रकों को जरूर के अनुसार विभिन्न क्षेत्रों को भेजे जा सकेंगे। प्रदेश में सेब खरीदने के लिए आने वाले सभी लदानियों की पंजीकरण अनिवार्य कर दिया है। पंजीकरण के साथ ही लदानियों की आधार नंबर भी लिया जाएगा ताकि बागवानों को ये लदानी चूना न लगा सकें। राज्य के बागवानी निदेशक जेपी शर्मा ने कहा कि प्रदेश में पैदा होने वाले फलों में सेब की भागीदारी 80 फीसदी तक है। प्रदेश में करीब 5 हजार करोड़ का प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से सेब से होता है। इस साल करीब चार करोड़ पेटी सेब पैदा होने का अनुमान है।