(रफतार न्यूज ब्यूरो)ः सभी ग्रहों में सेनापति का दर्जा प्राप्त पाने वाले बुध ग्रह का राशि परिवर्तन 07 जुलाई को मिथुन राशि में होने जा रहा है। बुध के मिथुन राशि में गोचर करने की वजह से शुभ योग बुधादित्य योग बन रहा है। बुधादित्य योग सूर्य और बुध के मिथुन राशि में होने पर बनता है। सूर्य पहले से ही मिथुन राशि में हैं। ज्योतिष शास्त्र में बुधादित्य योग को बहुत ही शुभ माना गया है। इस योग के निर्माण से कई राशि वालों को तरक्की, सुख-समृद्धि और धन लाभ हो सकता है। 7 जुलाई को बुध का गोचर 10 बजकर 59 मिनट पर होगा। आइए विस्तार से जानते हैं आखिरकार बुधादित्य योग क्या है और इसका महत्व….
बुध ग्रह को वाणी, बुद्धि, तर्क-वितर्क और मित्र का कारक माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार सूर्य और शुक्र, बुध के मित्र ग्रह होते हैं जबकि चंद्रमा और मंगल इसके शत्रु ग्रह हैं। जिन जातकों की जन्म कुंडली में बुध ग्रह लग्न भाव के होते हैं वह व्यक्ति आकर्षक और स्वभाव से तर्कसंगत और कुशल वक्ता होते हैं। ज्योतिष शास्त्र में बुध को सूर्य के समान तेजस्वी दिव्य पीतांबरधारी, संपूर्ण आभूषणों से विभूषित, अर्थशास्त्रों के ज्ञाता, उत्कृष्ट बुद्धि संपन्न, मधुर वाणी बोलने वाले महान गणितज्ञ माना गया है। मिथुन एवं कन्या राशि के स्वामी बुध मीन राशि में नीचराशिगत संज्ञक तथा कन्या राशि में उच्चराशिगत संज्ञक माने गए हैं। सूर्यदेव के साथ इनकी युति होने से बुधादित्य योग बनता है।
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार सूर्य और बुध के द्वारा निर्मित बुधादित्य योग बनने अथवा इसके पूर्ण फलीभूत होने के लिए सूर्य और बुध के मध्य की दूरी 10 अंश से अधिक होनी चाहिए। किसी भी जातक की जन्मकुंडली में यदि सूर्य और बुध एक साथ हैं तो यह योग निर्मित होता है जो अति शुभ फलदाई होता है। इस योग में उत्पन्न जातक विद्वान, धनी, मानी और यशस्वी होता है किंतु ज्योतिषी को फलादेश करते समय इनके मध्य की अंशात्मक दूरी का भी गहन अध्ययन करना चाहिए। सूर्य और बुध के बुधादित्य योग के निर्माण से तुला, वृश्चिक, धनु, कर्क और मिथुन राशि वालों को लाभ मिलेगा।