छिन्दवाड़ा(भगवानदीन साहू) – श्री योग वेदान्त सेवा समिति के साधकों ने आज महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केन्द्रीय गृहमंत्री भारत सरकार , के नाम जिला कलेक्टर छिन्दवाड़ा म . प्र . को ज्ञापन सौपकर साधको पर हुये लाठी चार्ज पर कार्यवाही की मांग की। ज्ञापन में बताया कि , दिनॉक 17 जून 2021 को देश भर के हजारों साधकों ने कोविङ -19 की गाइड लाइन का पालन करते हुये दिल्ली के बीकानेर भवन पंडारा रोड , नई दिल्ली पर शांति पूर्ण धरना प्रदर्शन कर विरोध दर्ज कर रहे थे। साधकों की मांग शासन , प्रशासन से थी कि पूज्य निर्दोष संत श्री आशारामजी बापू का उचित ईलाज हो ; उन्हें ईलाज हेतु पैरोल या जमानत दी जाए। पर दिल्ली पुलिस ने उनकी उचित मांग सुनने की बजाय सभी साधकों पर लाठी चार्ज किये तथा जेल में डाल दिया। यह विरोध प्रदर्शन सामूहिक सेवा समिति के तत्वाधान में कई धार्मिक एवं सामाजिक संगठनों की उपस्थिति में सम्पन्न हो रहा था । कुछ दिन पूर्व किसान आंदोलनकारियों ने लालकिला पर खालीस्तान का झंडा लहरा दिया । कई पुलिस वाले को मौत की घाट उतार दिया । वहीं शाहीन बाग में कई महिनों तक धरना प्रदर्शन चलते रहा एवं दिल्ली में हुये दंगे से कई घर एवं परिवार तबाह हो गये। तब भी दिल्ली पुलिस गुंगी बनी रहीं । साधकों और कई धार्मिक संगठनों पर लाठी चार्ज कर जेल में डालना दिल्ली पुलिस का संस्कृति विरोधी रवैया नजर आता है। संत श्री आशाराम जी बापू के खिलाफ सन 2013 में फर्जी प्रकरण दर्ज हुआ । उस दौरान भी देशभर के साधकों ने वर्षों तक धरना प्रदर्शन किया । तथा दिल्ली के ताल कटौरा मैदान में भी वर्षों तक धरना प्रदर्शन चलते रहा । प्रशासन द्वारा इस प्रदर्शन को बर्बरता पूर्वक दमन किया गया । फिर भी गत 8 वर्षो से देशभर में समय – समय पर विरोध प्रदर्शन जारी हैं । इतनी कठोर यातनायें सहकर भी करोड़ों – करोड़ों साधकों की आस्था पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा । दिल्ली पुलिस की इस बर्बरता पूर्वक कार्यवाही का विरोध कर शासन से उचित कार्यवाही की मांग की । ज्ञापन देते समय समिति के अध्यक्ष मदन मोहन परसाई , खजरी आश्रम के संचालक जयराम भाई , अखिल भारतीय हिन्दू रक्षा संघ के लक्ष्मीकांत द्विवेदी , गुरूकुल की दर्शना खट्टर , महिला आश्रम संचालिका साध्वी नीलू बहन , युवा सेवा संघ के अध्यक्ष दीपक दोईफोडे , साध्वी रेखा बहन , साध्वी प्रतिमा बहन , छाया सूर्यवंशी , संकुतला कराड़े , करूणेश पाल , डॉ , मीरा पराड़कर , सुमन डोईफोडे मुख्य रूप से उपस्थित थे।
