छिंदवाडा(भगवानदीन साहू)- कई धार्मिक एवं सामाजिक संगठनों ने 15 जुलाई 2020 को महामहिम राष्ट्रपति , प्रधानमंत्री , केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर देश के सभी स्कूली पाठ्यक्रम में श्रीमदभगवतगीता और श्री रामायण को अनिवार्य किये जाने की मांग की थी । ज्ञापन में बताया गया कि भगवान श्री कृष्ण और भगवान श्रीराम का जीवन चित्रण प्रेरणादायी है। इसके अलावा भगवान बुध्द , महावीर , वीरशिवाजी , हनुमानजी , महाराणा प्रताप , तथा महान नारियों में सतीअनुसुईया , गार्गी , मदालसा , सावित्री , सबरी , सीता , झांसी की रानी का जीवन चित्रण संघर्षमय और प्ररेणादायी हैं। विद्यार्थियों में बचपन से ही इन महापुरूषों के दिव्य संस्कारों का सिंचन हो जाये तो देश का 90 प्रतिशत अपराध यूँही खत्म हो जायेगा । उक्त ज्ञापन पत्र पर महामहिम राष्ट्रपति ने प्रसन्नता जाहिर करते हुये 17 अगस्त 2020 को पत्र क्रमांक P1 / 2 / 1708200354 के माध्यम से सचिव स्कूली शिक्षा एवं साक्षारता विभाग भारत सरकार को कार्यवाही हेतु आदेशित किया था। स्कूली शिक्षा एवं साक्षारता विभाग एन.सी.आर.टी. एवं अन्य केन्द्रीय पाठ्यक्रमों को कार्यवाही हेतु आदेशित किया । अन्य जानकारी केन्द्रीय शिक्षा विभाग के अंतर्गत आने वाले नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग ( NIos ) इस सत्र ने प्राचीन भारतीय ज्ञान और परम्परा को लेकर 100 मदरसों में नया पाठ्यकम प्रारंभ करने जा रहा है। जो कि नई शिक्षा नीति का हिस्सा है । तथा कक्षा 3 , 5 , 8 के लिए बेसिक कोर्स में श्रीमद्भगवतगीता और श्री रामायण के पाठ्य का समावेश होगा । भविष्य में 500 मदरसे में इसे शामिल किया जायेगा । ज्ञापन देते समय आधुनिक चिंतक हर्षुल रघुवंशी , शिक्षाविद विशाल चउत्रे , कुबी समाज के युवा नेता अंकित ठाकरे , राष्ट्रीय बजरंग दल के नितेश साहू , पवार समाज के प्रमुख हेमराज पटले , युवा सेवा संघ के नितिन डोईफोडे , सोमनाथ पवार , ओमप्रकाश डेहरिया , आई.टी.सेल के प्रभारी भूपेश पहाड़े , कलार समाज के सुजीत सूर्यवंशी , अखिल भारतीय नारी रक्षामंच दर्शना खट्टर , छाया सूर्यवंशी , करूणेश पाल , शकुंतला कराडे , योगिता पराडकर , वनीता सनोड़िया , शोभा भोजवानी , रेखा पाल , आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।
