मुंबई।(ब्यूरो) सुप्रीम कोर्ट ने बिहार निवासी अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत मामले की जांच सीबीआई को दे दिया मगर राजनीति जारी है. कोर्ट के इस फैसले के बाद मुंबई की शिवसेना के निशाने पर बिहार सरकार आ गई है. शिवसेना के मुखपत्र सामना में गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय पर हमला बोला गया है.
सामना में लिखा गया है कि कोर्ट के फैसले से महाराष्ट्र, दिल्ली और बिहार जैसे राज्यों के कुछ लोग बहुत खुश हैं. नीतीश कुमार ने ‘न्याय और सत्य’ की बात कहते हुए अपनी प्रतिक्रिया कुछ इस प्रकार दी मानो उन्होंने बिहार विधानसभा का चुनाव ही जीत लिया हो. सामना ने स्पष्ट लिखा है कि मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार की बदनामी करने के लिए सुशांत मामले का राजनीतिक उपयोग हुआ है.
सामना में आगे लिखा है – सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय किसी राजनीतिक चुनाव को जीतनेवाले भाव में पत्रकारों से बोले, ‘ये न्याय की अन्याय पर जीत है. पांडे भाजपा के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ चुके हैं. उन्होंने भाजपा का झंडा हाथ में लेकर पत्रकारों से बात नहीं की, बस इतना ही बाकी रह गया था. इसके अलावा बिहार डीजीपी ने कहा कि सुशांत मामले में मुंबई पुलिस सही दिशा में जांच नहीं कर रही है. बिहार पुलिस की जांच में अड़ंगे डाले जा रहे हैं. उनका ये बयान सच नहीं है.
राज्य के अधिकारों पर आक्रमण
सामना में लिखा है कि सुशांत ने आत्महत्या क्यों की? इसका रहस्य जानने में पुलिस जुटी हुई है. लेकिन यह रहस्य पाताल में दबी एक कुप्पी है. वह कुप्पी सिर्फ बिहार की पुलिस या सीबीआई ही ढूंढ पाएगी, यह एक प्रकार का भ्रम है. सीबीआई द्वारा राज्य के किसी भी मामले की जांच करने में गलत कुछ नहीं है. लेकिन यह राज्यों के अधिकारों पर आक्रमण है. सीबीआई को जांच सौंपते समय कोर्ट ने धीरे से यह भी कहा है कि मुंबई पुलिस की जांच में प्रथमदृष्टया कुछ गलत नहीं दिख रहा. फिर भी प्रामाणिकता की कद्र न करते हुए जांच सीबीआई को देना आश्चर्यजनक है.
बिहार के इन मामलों पर उठाए सवाल
बिहार में कई खून और हत्याओं के मामले सीबीआई को सौंपे गए. लेकिन उनमें से कितने असली आरोपियों को सीबीआई अब तक पकड़ पाई है? ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड, मुजफ्फरपुर का नवरुणा हत्याकांड , सिवान में पत्रकार राजदेव रंजन हत्या कांड का हवाला देकर सामना में लिखा गया है कि सीबीआई जांच जारी है मगर आज तक एक भी गिरफ्तारी नहीं हुई है. उनके परिवार पर जो अन्याय हुआ, उन मामलों में न्याय और सत्य की विजय नहीं हो पाई.
सुप्रीम कोर्ट पर परोक्ष टिप्पणी
सामना ने लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट की ‘सिंगल बेंच’ के समक्ष यह मामला चलाया गया. कम-से-कम इसे ‘डबल बेंच’ के सामने चलाया जाना चाहिए था, ऐसी अपेक्षा थी. मगर ऐसा नहीं हुआ. मूलतः मुंबई पुलिस की जांच आखिरी चरण में थी. उसी दौरान उसे रोककर पूरा मामला सीबीआई को सौंपा गया और वह भी बिहार राज्य की सिफारिश पर. कोर्ट भले कह रही है कि इसका कानूनी आधार है तो ऐसे कानूनी आधार अन्य मामलों में क्यों नहीं दिखते? फिर भी सुशांत सिंह राजपूत मामला सीबीआई को सौंपकर इस मामले में ‘न्याय होना होगा’ तो इसका स्वागत है.