छिन्दवाड़ा (भगवानदीन साहू)- शक्ति ट्रस्ट द्वारा संचालित संत श्रीआशारामजी महिला उत्थान आश्रम एवं गुरूकुल में प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी जन्माष्टमी पर्व हर्षोउल्लास मनाया गया। कोरोना माहमारी के कारण सत्संग और सांस्कृतिक कार्यक्रम सम्पन्न नहीं हुये। साधकों ने सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुये ध्यान, भजन, पूजन का लाभ लिया। इस अवसर पर पूज्य बापूजी की कृपा पात्र शिष्या साध्वी रेखा बहन एवं साध्वी प्रतिमा बहन ने साधकों को बताया कि हमारे शास्त्रों में जन्माष्टमी पर्व की बड़ी भारी महिमा हैं। पूरे वर्ष में चार रात्रियाॅं आती है, जिसमें दीपावली पर्व की रात्रि, महाशिवरात्रि, होली की रात्रि एवं जन्माष्टमी की रात्रि प्रमुख है। इन रात्रियों में ईश्वर का भजन, कीर्तन, ध्यान से विषेश पुण्य लाभ होता है। जन्माष्टमी के व्रत एवं जागरण से अन्नतगुणा पुण्य लाभ होता है। जन्माष्टमी का व्रत करोड़ो एकादशियों का पुण्य एवं 100 जन्मो के किये गये पाप कर्म से मुक्ति दिलाता है। भगवान श्री कृष्ण का पूरा जीवन संघर्षमय रहा। इनका जन्म विषेश उद्देश्य की पूर्ती हेतु हुआ था। कृष्ण के जीवन में सभी रिश्ते – नाते एवं वस्तुऐं सब छूटती गयी। लेकिन श्रीकृष्णजी कभी अवसाद ग्रस्त नहीं हुये। श्रीकृष्ण ने हमें श्रीमद्भगवत गीता का ज्ञान दिया। जो समस्त मानव कल्यार्णाथ है। कुछ दिन पूर्व हम लोगों ने जिला कलेक्टर छिन्दवाड़ा को माननीय राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री को ज्ञापन देकर देश के समस्त स्कूली पाठ्यक्रमों में भगवान श्रीकृष्ण का जीवन चित्रण पढ़ाये जाने की प्रार्थना की थी। हाल ही में आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने नई शिक्षा नीति को लागू करने की मंजूरी दी। जिसमें श्रीमद्भगवत गीता का ज्ञान समावेश होगा। इस कार्यक्रम में महिला उत्थान, आश्रम की संचालिका साध्वी नीलू बहन, गुरूकुल की संचालिका दर्शना खट्टर, खजरी आश्रम के जयराम भाई, समिति के अध्यक्ष मदनमोहन परसाई, युवा सेवा संघ के अध्यक्ष दीपक दोईफोडे, महिला समिति की सुमन दोईफोडे, विमल शेरके, डाॅ. मीरा पराड़कर, छाया सूर्यवंशी, शोभा भोजवानी, शंकुनतला कराड़े …………..आदि मुख्य रूप से उपस्थित थें।
