दिल्ली।(ब्यूरो) पूरी दुनिया एक कारगर कोरोना वायरस वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार कर रही है। अमीर देशों ने पहले ही करोड़ों डोज का सौदा कर लिया है। लेकिन अबतक किसी भी वैक्सीन को सफलता नहीं मिली है। वैक्सीन के लिए मारामारी की स्थिति देखते हुए वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के मुखिया टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने चेतावनी दी है कि ‘फिलहाल कोई जादू की छड़ी नहीं है, शायद कभी न हो।’ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, यह जानने में अभी लंबा वक्त लगेगा कि इनमें से कोई वैक्सीन प्रभावी होगी या नहीं। अमेरिका के टॉप एक्सपर्ट डॉ एंथनी फाउची को पहली बार में ही सफल होने की उम्मीद है और वे 6 से 12 महीनों में वैक्सीन आने का दावा करते हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि इसके लिए किस्मत के साथ की बहुत जरूरत पड़ेगी। दुनियाभर में अलग-अलग वैक्सीन के ट्रायल पर क्या ताजा अपडेट है, आइए जानते हैं।
ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी और अस्त्राजेनेका ने मिलकर जो वैक्सीन बनाई है, उसे Covishield नाम दिया गया है। चंडीगढ़ के पोस्ट ग्रैजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (PGIMER) में इसकी प्रतिरक्षाजनकता (Immunogenicity) का पता लगाया जाएगा। वैक्सीन दिए जाने के बाद, इसे दो तरीके से चेक किया जा सकता है: T-सेल रेस्पांस और ऐंटीबॉडी रेस्पांस। रिसर्च में ऐंटीबॉडीज की मात्रा और उनकी क्वालिटी जांची जाएगी।
Covaxin का सबसे बड़ा ट्रायल दिल्ली स्थित एम्स में होना था। यहां 100 लोगों पर वैक्सीन का परीक्षण किया जाना था। मगर अब पहले फेज में सिर्फ 16 लोगों पर ही ट्रायल होगा। बहुत सारे वॉलंटियर्स जो आगे आए, उनमें से अधिकतर में पहले से ऐंटीबॉडीज मौजूद थीं। चूंकि Covaxin के पहले फेज में टोटल 375 लोगों पर ट्रायल होना था और वो संख्या पूरी हो चुकी है, ऐसे में ऐम्स में सिर्फ 16 पर ही ट्रायल होगा। पहले फेज में जिन 16 लोगों को वैक्सीन का पहला डोज दिया गया था, उन्हें दूसरा डोज दिया जाने लगा है।
रूस ने ऐलान किया है कि उसकी एक वैक्सीन का ट्रायल 100% सफल रहा है। वहां 12 अगस्त से लोगों को वैक्सीन की डोज देने के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू हो रही है। गामलेया इंस्टिट्यूट की बनाई यह वैक्सीन रजिस्ट्रेशन के 7 दिन के भीतर लोगों को लगा दी जाएगी। रूस के स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि अक्टूबर से इस वैक्सीन का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा।
भारत में कोरोना वायरस वैक्सीन को लेकर दो उच्चस्तरीय समितियां बनाई गई हैं। प्रधानमंत्री के प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइडजर डॉ के विजयराघवन की अध्यक्षता वाली कमिटी को भारतीय वैक्सीन डेवलपमेंट पर नजर रखनी है। इसके अलावा उन्हें विदेशी वैक्सीन जो भारतीय मैनुफैक्चरर्स को दी गई हैं, उनकी प्रोग्रेस भी मॉनिटर करनी है। ‘फिल एंड फिनिश’ वाली कई कपनियों को भी सरकार साथ ले रही है। दूसरी सरकारी कमिटी का नेतृत्व नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल कर रहे हैं। इस कमिटी का काम है वैक्सीन को लोगों तक पहुंचाना। यानी जब वैक्सीन बनकर तैयार हो जाएगी जो उसका स्टॉक और कोल्ड-चेन तैयार करना इस कमिटी के जिम्मे है। इस कमिटी को यह भी तय करना है कि वैक्सीन किसी सेंटर्स पर लगाई जाएगी या बाहर।
कोरोना वैक्सीन की कीमत कितनी हो, इसे लेकर भी अलग-अलग कंपनियों के अलग-अलग दावे हैं। ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन बना रहे सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने वैक्सीन की कीमत करीब 225 रुपये तय की है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, Pfizer ने करीब 45 डॉलर में वैक्सीन बेचने का इरादा किया है। जबकि अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना ने कहा है कि उसकी वैक्सीन के दाम 50 से 60 डॉलर (3,700 रुपये से 4,500 रुपये) के बीच हो सकते हैं। हालांकि यह दाम हर देश में एक जैसे नहीं होंगे। गरीब देशों में वैक्सीन कम कीमत पर उपलब्ध हो सकती है।