नई दिल्ली (रफतार न्यूज डेस्क): लद्दाख में भारत-चीन के बीच सीमा विवाद की तनातनी के बीच प्रधानमंत्री मोदी अचानक लेह पहुंच गए। यह चीन और पाकिस्तान के लिए एक कड़ा संदेश है कि वे असली कमांडर हैं, जो मुश्किल वक्त में जरूरत पड़ने पर फ्रंट में आने से नहीं चूकते। लेह में प्रधानमंत्री ने जल, थल सेना और वायु सेना के जवानों से मुलाकात कर उनकी हौसला अफजाई की और वरिष्ठ अधिकारियों से मौजूदा हालात के बारे में जानकारी ली।
प्रधानमंत्री का यह दौरा बेहद गुपचुप रहा और किसी को इस बारे में खबर नहीं थी। इससे पहले शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तथा सेना प्रमुख का लेह जाने का कार्यक्रम था। लेकिन उसे अंतिम समय में रद्द कर दिया गया।
प्रधानमंत्री अचानक दौरे पर लेह पहुंचे और उसक बाद हेलीकॉप्टर से लेह से 35 किमी दूर 11 हजार फीट पर स्थित निमू फारवर्ड पोस्ट पहुंचे और जवानों का मनोबल बढ़ाया। जांस्कर रेंज से घिरे सिंधु नदी के किनारे स्थित नीमू चीन सीमा की तरफ नहीं है, बल्कि यह पाकिस्तान एलओसी की तरफ है। सेना के जवानों को यहां की पोस्टिंग से पहले 15 दिनों तक एक्लाइमेटाइज होना अनिवार्य होता है, क्योंकि यह हाई एल्टीट्यूड एरिया है और सांस लेने में कठिनाई होती है।
सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री इस दौरान नॉर्दन कमांडर लेंफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी और 14 कॉर्प्स यानी फायर एंड फ्यूरी के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह समेत सेना के वरिष्ठ अधिकारियों से एलएसी के मौजूदा हालातों के बारे में जानकारी ली। इस दौरान उनके साथ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत और सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे भी मौजूद रहे।
प्रधानमंत्री के इस औचक दौरे पर रिटायर्ड मेजर जनरल एसके सिन्हा का कहना है कि दोनों देशों में मौजूदा तनाव के बीच प्रधानमंत्री का लद्दाख में ग्राउंड-0 पर पहुंचना पाकिस्तान और चीन दोनों के लिए कड़ा संदेश है। उनका कहना है कि चीन और पाकिस्तान दोनों को समझना चाहिए कि भारत दोनों मोर्चों पर लोहा ले सकता है।
