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दुकानदारों का धंधा चौपट कर रही है सरकार – रणदीप सुरजेवाला

The Masla , Panchkula

Dev Sheokand

देश में 7 करोड़ व्यापारी-दुकानदार हैं व हरियाणा में लगभग दस लाख व्यापारी – दुकानदार। मोदी-खट्टर सरकारों ने 20 अप्रैल, 2020 से अमेज़न और फ्लिपकार्ट जैसी ई-काॅमर्स/ऑनलाइन कंपनियों को देश में व्यापार करने की अनुमति दे हरियाणा के लाखों दुकानदारों व व्यापारियों के धंधे पर तालाबंदी करने की साजिश की है। भाजपा-जजपा सरकार के इस व्यापारी-दुकानदार विरोधी निर्णय को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।हरियाणा का दुकानदार-व्यापारी लगभग 1 माह से अपना व्यापार बंद कर घर बैठा है और अब लाॅकडाऊन की यह अवधि 3 मई, 2020 तक बढ़ा दी गई है। दुकानदार-व्यापारी का लाखों करोड़ का माल उनके प्रतिष्ठानों में जमा है। धंधा बंद होने के बावजूद दुकानदार किराया भी दे रहा है, बिजली व कमर्शियल हाउस टैक्स अदा करने को भी बाध्य है, दुकान व गोदाम में पड़े माल पर ब्याज भी अदा कर रहा है, सरकार के आदेश मानकर लाॅकडाऊन में कर्मचारियों को पूरा वेतन भी दे रहा है व अपनी हैसियत के अनुसार गरीब जनता को भोजन आदि उपलब्ध कराने व दान का भी यथासंभव प्रयास कर रहा है। फिर भी खट्टर सरकार उसे सजा देने पर उतारू है।ईकाॅमर्स कंपनियां फ्रिज, टीवी, मोबाईल, कपड़ा, ज्वेलरी, व हर प्रकार का साजोसामान बेचने के लिए स्वतंत्र होंगी, पर दुकानदार के व्यवसाय पर 3 मई तक तालाबंदी कर दी गई है। रिटेलर एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया ने तो यह भी कहा है कि 25 प्रतिशत दुकानदार अपनी रोजी-रोटी खो बैठेंगे व 51 प्रतिशत दुकानदार अगले 12 महीने तक शायद एक फूटी कौड़ी मुनाफा भी न कमा पाएं।

सुरजेवाला ने पूछे सरकार से सवाल

i) क्या प्रदेश के 10 लाख दुकानदारों के पेट पर लात मार ई-काॅमर्स कंपनियों को 20 अप्रैल से व्यापार करने की अनुमति देना सही है या साजिश?ii) क्या खट्टर सरकार दुकानदारों का बिजली बिल, कमर्शियल हाउस टैक्स माफ करेगी व जीएसटी में विशेष छूट देगी?iii) भाजपा-जजपा सरकार द्वारा दुकानदारों-व्यापारियों पर यह कुठाराघात क्यों?2. किसान आढ़ती के गठजोड़ को नष्ट करना चाहती है खट्टर सरकारहरियाणा के परिवेश में आढ़ती व किसान का रिश्ता दशकों पुराना है। आढ़ती किसान का चलता फिरता बैंक है, जहां रोजमर्रा की जरूरत के लिए पैसों का आदान प्रदान निरंतर होता है, जिसका हिसाब हर फसल के अंत में हो जाता है। किसान की प्रतिदिन की जिंदगी में यह एक महत्वपूर्ण कड़ी है।पहले 13 अप्रैल व फिर 16 अप्रैल, 2020 (संलग्नक A1 एवं A 2) के दो तुगलकी फरमानों से भाजपा-जजपा सरकार ने आढ़तियों को 7 प्राईवेट बैंकों में नए खाते खुलवाने का आदेश दिया है। तथा केवल इन्हीं खातों के माध्यम से ही गेहूँ, सरसों व अन्य फसलों की पेमेंट की जाएगी। स्वाभाविक तौर से पूरे प्रदेश में इसका विरोध हो रहा है।क्या खट्टर सरकार बताएगी:-​ i) एकतरफा व मनमाने आदेश कर 7 प्राईवेट बैंकों में (समेत डूबते हुए यस बैंक) आढ़तियों के नए खाते खुलवाने के पीछे क्या कारण है?​ ii) आढ़तियों के सरकारी व दूसरे बैंकों में सालों से चल रहे खातों में बैंक लिमिट्स हैं। अब उन खातों का क्या होगा? नए खातों में बैंक लिमिट कैसे मिल पाएगी?समय आ गया है कि खट्टर सरकार किसानों, दुकानदारों व आढ़तियों के साथ इस जबरन ज्यादती का जवाब दे।

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