मुख्यमंत्री ने राज्यपाल के विधानसभा में अभिभाषण पर जवाब देते हुए परिपक्वता व पारदर्शिता के अभाव की झलक दिखाई दी। यह बात इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला ने मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए जवाब के संदर्भ में कही। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो भाजपा-जजपा की सरकार पारदर्शिता व ईमानदारी का ढिंढोरा पीटती है और दूसरी तरफ स्वयं अपने स्तर पर ही भ्रष्टाचार के आरोपों को सिरे से खारिज करके पूर्व मंत्री ग्रोवर को क्लीन चिट देती है। सरकार के इस फैसले ये पूरी दाल ही काली नजर आ रही है। मुख्यमंत्री जी की तथाकथित ईमानदारी पर किसी को भी शक नहीं परंतु इस तरह आरोपों को खारिज करना भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने के समान है। सरकार को अगर इतना ही विश्वास है कि इन आरोपों में कोई दम नहीं है तो फिर जांच कराने में दिक्कत क्या है?
इनेलो नेता ने कहा कि अभिभाषण के जवाब में मुख्यमंत्री महोदय ने धान खरीद घोटाले में वास्तविक घोटाले से ध्यान हटा कर सारा ध्यान चावल मिलों की वेरिफिकेशन पर केंद्रित कर दिया। सरकारी प्रवक्ता तो नब्बे करोड़ रुपए के घोटाले की घोषणा कर रहा है परंतु उप-मुख्यमंत्री कह रहे हैं कोई घोटाला नहीं हुआ। अगर कोई घोटाला नहीं हुआ तो सूत्रों से पता चला है कि चावल मिल मालिकों ने रुपए किसलिए इक_े किए, इस प्रकरण की भी जांच होनी चाहिए।
वास्तव में इनेलो ने हमेशा ही जो राशि किसानों से नमी के नाम से समर्थन मूल्य से काटकर बिलों में किसानों को नकद अदायगी करी दिखाई गई है, वह राशि काटने पश्चात किस मद में जमा हुई है, इस बात की जांच करवाने के लिए महामहिम राज्यपाल व मुख्यमंत्री को ज्ञापन देकर सीबीआई जांच के लिए निवेदन किया था। परंतु सदन में यह कहकर कि जांच की आवश्यकता नहीं, इतना कहने भर से ही सरकार अपना दामन पाक-साफ नहीं कर सकती। अगर आवश्यकता पड़ी तो इनेलो इस संदर्भ में न्यायिक प्रक्रिया का भी सहारा ले सकती है।
उन्होंने ने कहा कि युवाओं को रोजगार देने बारे सरकार अपना ऐसा सुझाव नहीं दे सकी जिससे रोजगार के साधन उपलब्ध करवाए जा सकें। प्रदेश में निवेश के लिए उद्योगपति आने से कतराते हैं क्योंकि प्रदेश में कानून व्यवस्था का बुरा हाल है। मुख्यमंत्री जी शिक्षा विभाग में कोई सुधार की योजना नहीं प्रस्तुत कर सके। स्वास्थ्य तो सरकार ने राम भरोसे छोड़ रखा है, स्वास्थ्य मंत्री अपने से ज़्यादा किसी को काबिल नहीं समझते। ग्रामीण विकास का मुद्दा अभी तक जस का तस है। मुख्यमंत्री जी ने अपने भाषण में लगभग सभी मुद्दों पर जवाब में विचाराधीन शब्दावली का ज़्यादा इस्तेमाल किया जिससे लगता है कि भाजपा के पास शब्दों के जाल के सिवाय धरातल पर कोई आम आदमी को भरोसे देने के लिए कुछ भी नहीं था।