केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किए गए संशोधन के बारे में इनेलो नेता चौधरी अभय सिंह चौटाला ने कहा कि इस योजना में पहले प्रीमियम की राशि जमा करवाना अनिवार्य थी और अब किसान यह राशि स्वेच्छा के अनुसार जमा करवा सकेंगे। इस संशोधन से फसल बीमा योजना में जो कमियां थी, वह जस की तस हैं जिनकी वजह से यह किसानों के लिए वरदान की बजाय अभिशाप बन गई थी। पिछले वर्ष इस योजना में लगभग 13 हजार करोड़ रुपए का प्रीमियम जमा हुआ और किसानों को सात हजार करोड़ के दावों का भुगतान किया गया। इस योजना से किसानों की बजाय सरकार द्वारा बीमा निजी कंपनियों को लाभ देेने का लक्ष्य पूरा हुआ।
इनेलो नेता ने कहा कि 80 प्रतिशत किसान लघु व मध्यम वर्ग से हैं जो अपनी पारिवारिक जरूरतों के लिए खेती का धंधा करते हैं। इस योजना में जो शर्तें हैं उनको पूरा करना ग्रामीण आंचल के किसान के बस की बात नहीं। फसल बीमा योजना की शर्तों के अनुसार बुआई के दस दिनों के अंदर फसल का ब्यौरा देना होता है, अगर प्राकृतिक आपदाओं से फसल को नुकसान हुआ है तो फसल काटने के 14 दिनों के अंदर नुकसान के बारे में बीमा कंपनियों को बताना होगा। बीमा कंपनियां जब फसल के नुकसान का आकलन करती हैं वह वास्तविक नुकसान की अनदेखी करके अपने अनुसार आकलन करना किसान के हितों के विपरीत होता है।
उन्होंने कहा कि इस योजना के लाभ के लिए किसानों को कागजी कार्रवाई करने के लिए दर-दर भटकना पड़ता है। अगर कोई कमी रह जाए तो कंपनी बहाना बनाकर किसान को लाभ से वंचित कर देती है। अगर किसान ने खेत बंटाई पर लिया है तब किसान को जमीन के मालिक से लिखित रूप में एग्रीमेंट करवाकर उसकी एक कापी बीमा कंपनी को देनी अनिवार्य है। उपरोक्त सभी शर्तें पूरी करनी एक साधारण और अनपढ़ किसान के बस की बात नहीं।
इनेलो नेता ने कहा कि फसल बीमा योजना में संशोधन करने उपरांत सरकार का दावा है कि पांच वर्षों में 10 हजार किसान उत्पादक संगठनों का गठन करके किसानों को इस फसल बीमा योजना का ज्यादा लाभ प्राप्त होगा। यह किसान उत्पादक संगठन किसानों को बीज, खाद, कर्ज और तकनीक आदि के बारे में सलाह देंगे जबकि पहले ही कृषि किसान केंद्र हर जिला व तहसील स्तर पर कृषि बारे सलाह देने के लिए उपलब्ध हैं। इस संशोधन में कोई नई बात नहीं जिससे ये उम्मीद लगाई जा सके कि किसानों को संशोधित फसल बीमा योजना उपरांत फसलों के नुकसान की भरपाई सुनिश्चित और समयबद्ध होगी।
सरकार को चाहिए कि किसानों को संशोधित फसल बीमा योजना के बारे में पूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाने के लिए प्रशिक्षण शिविर लगाएं। इस योजना के बारे में पूरी जानकारी देकर प्राकृतिक आपदाओं द्वारा हुए फसल के नुकसान के आकलन के जो मापदण्ड हैं, उनको सरल करना चाहिए और नुकसान के मुआवजे की कुल राशि का कम से कम 25 प्रतिशत हिस्से की अदायगी अग्रिम तौर पर किसान को करनी चाहिए।