इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला ने कहा कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा जिन स्कूलों में शिक्षा का स्तर दिन-प्रतिदिन गिरता जा रहा है उनकी समीक्षा करने के लिए शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों द्वारा कुरुक्षेत्र में बैठक करना तो ऐसा लगता है जैसे जब किसी को प्यास लगे तो प्यास बुझाने के लिए वह कुआं खोदने बारे सोचे। बड़ा अजीब लगता है कि गठबंधन की सरकार एक तरफ तो शिक्षा का व्यवसायीकरण करने में लगी है और दूसरी तरफ सरकारी स्कूलों में जो खामियां हैं उनकी तरफ आंखें मूंदे बैठी है। यह चिंता का विषय है कि दसवीं और बारहवीं के पहले समैस्टर के रिजल्ट ने शिक्षा विभाग की आंखें खोल दी हैं। हरियाणा में 438 स्कूल तो ऐसे हैं जिनका परिणाम मात्र 25 फीसदी से कम रहा है और सात स्कूलों का परिणाम तो ज़ीरो ही रहा है।
अभय सिंह ने कहा कि शिक्षा विभाग तो अब भ्रष्टाचार का अड्डा बनता जा रहा है। सैकड़ों करोड़ का छात्रवृत्ति घोटाला हर प्रदेशवासी की ज़ुबान पर है। प्रदेश की गठबंधन सरकार द्वारा शिक्षा के सुधार के लिए बैठकों पर तो खूब पैसा बर्बाद किया जा रहा है परंतु नतीजा ‘वही ढाक के तीन पात’ निकलता है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों के अपने बच्चे तो प्राइवेट स्कूलों में पढऩे जाते हैं, ऐसे में परिणाम क्या खाक दुरुस्त आएंगे। सरकारी अध्यापक स्कूलों में पढ़ाने की जगह अपने घरों में कोचिंग सेंटर खोलने में व्यस्त हैं। सरकार द्वारा शिक्षकों से विभिन्न प्रकार के काम लिए जाते हैं, कभी चुनाव ड्यूटी तो कभी जनगणना आदि का काम सौंपा जाता है।
उन्होंने ने कहा कि आठवीं कक्षा का बोर्ड द्वारा इम्तिहान न लेना और नौवीं कक्षा में फेल न करना भी शिक्षा के गिरते स्तर का एक कारण है। ज़्यादातर स्कूलों में अध्यापकों की कमी के कारण बच्चों के शिक्षा स्तर पर विपरीत असर पड़ता है। स्कूलों में भवनों की हालत ख़स्ता है और कई स्कूलों में तो विद्यार्थी इस प्रचण्ड सर्दी के दौरान खुले में तप्पड़ों पर बैठ कर पढऩे को मजबूर हैं। स्कूलों में लैबोरेट्रियां पूर्णतया यंत्रों से वंचित हैं। जिन अध्यापकों का परिणाम अच्छा नहीं आता, उन शिक्षकों को सजा का कोई प्रावधान नहीं है।
गठबंधन की सरकार शिक्षा का स्तर तो क्या सुधारेगी अभी तक तो मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल में आपस में तालमेल ही नहीं बन पाया है। जो सरकार अभी तक यह तय न कर पाए कि उसकी प्राथमिकता क्या है और शिक्षा के स्तर सुधारने के लिए शिक्षा नीति क्या है और कैसे उसमें बदलाव लाना है, उस जुगाड़ू सरकार से शिक्षक और शिक्षार्थी क्या उम्मीद कर सकते हैं?