The Masla
हरियाणा के नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने गन्ना किसानों की हालत पर चिंता जताई है। उन्होंने आंकड़ों के ज़रिए ख़ुलासा किया है कि किस तरह बीजेपी सरकार में लगातार किसानों के हितों से धोखा हुआ है। पिछले कई दिनों से पलवल, मेवात, अंबाला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र ,कैथल,फरीदाबाद आदि समेत प्रदेशभर में लगातार गन्ना किसानों के रोष प्रदर्शन की ख़बरें आ रही हैं। ना तो गन्ना किसानों को बॉन्ड के मुताबिक पर्ची भेजी जा रही है, ना उनकी फसल की ख़रीद हो रही है, ना उचित दाम मिल रहा है और ना ही ख़रीद के बाद पेमेंट का रास्ता नज़र आ रहा है। पिछले सीज़न में भी किसानों को पेमेंट के लिए लगातार सड़कों पर उतरना पड़ा था। नारायणगढ़ में तो पेमेंट की मांग के लिए किसानों ने लंबा आंदोलन किया था।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि किसानों की चिंता मात्र ख़रीद और पेमेंट को लेकर नहीं है। उनमें गन्ने के मौजूदा भाव को लेकर भी गहरी नाराज़गी है। किसान आज भी कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुई रेट में बढ़ोत्तरी को याद करते हुए मौजूदा सरकार को कोस रहे हैं। किसानों का कहना है कि बीजेपी की पिछली खट्टर सरकार ने 5 साल में बमुश्किल 30 रुपये रेट में इज़ाफ़ा किया। मौजूदा भाजपा-जजपा सरकार ने तो 1 पैसे की भी रेट में बढ़ोत्तरी नहीं की। जबकि इस दौरान खेती लगातार महंगी होती आ रही है। तेल से लेकर खाद और बीज के दामों में ऐतिहासिक बढ़ोत्तरी हुई है। यही वजह है कि खेती के मामले में ख़ुशहाल माने जाने वाले हरियाणा में भी बीजेपी सरकार के दौरान किसान आत्महत्याओं के कई मामले सामने आए।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि क्यों किसान आज भी उनकी सरकार के कार्यकाल को याद करते हैं। उन्होंने कहा कि 1966 में हरियाणा बनने के बाद से इनेलो-बीजेपी सरकार तक प्रदेश में गन्ना का रेट 95 रुपये क्विंटल था। इनलो-बीजेपी सरकार में साल 2005 तक ये बढ़कर 117 रुपये पहुंचा यानि महज़ 22 रुपये की बढ़ोत्तरी हुई। लेकिन 2005 से 2014 तक कांग्रेस सरकार में रिकॉर्ड तोड़ बढ़ोत्तरी के साथ गन्ना का रेट 117 से 310 रुपये तक पहुंच गया। यानी इस दौरान ऐतिहासिक 193 रुपये की बढ़ोत्तरी हुई। किसान हितकारी नीतियों की बदौलत ही हमारी सरकार में कोई किसान आंदोलन नहीं हुआ। इसे भारत के इतिहास में खेती के लिए सबसे ख़ुशहाल दौर के तौर पर गिना जाता है।
लेकिन 2014 में झूठ का सहारा लेकर सत्ता में आई बीजेपी ने फिर से किसानों के विरोध में काम शुरू कर दिया। अगर गन्ने की ही बात की जाए तो पूरे 5 साल में खट्टर सरकार ने दामों में महज़ 30 रुपये की बढ़ोत्तरी की। मौजूदा गठबंधन सरकार ने तो मानो किसानों को देखकर आंखें ही बंद कर ली हैं। इसलिए उसने गन्ने के रेट में अबतक 1 पैसे की भी बढ़ोत्तरी नहीं की। जबकि जिस तरह से लगातार खेती की लागत बढ़ती जा रही है, उस हिसाब से आज की तारीख़ में गन्ने का भाव कम से कम 375 रुपये प्रति क्विंटल होना चाहिए।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने स्पष्ट कहा है कि बीजेपी सरकार की ये किसान विरोधी नीतियां ही किसानों को आंदोलन करने पर मजबूर कर रही हैं। हुड्डा ने एक क़दम आगे बढ़ते हुए कहा कि ऐसी नीतियां ही किसानों को आत्महत्या के लिए उकसाती हैं, जोकि बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। ऐसा लगता है कि सरकार किसानी को पूरी तरह ख़त्म कर देना चाहती है।
गन्ना किसानों की तमाम मांगों पर गौर करते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने उनके समर्थन का ऐलान किया है। हुड्डा ने कहा है कि सरकार को बिना देरी किए गन्ने का रेट कम से कम 375 रुपये करना चाहिए। युद्ध स्तर पर गन्ने की ख़रीद शुरू होनी चाहिए ताकि किसी भी किसान को अपनी फसल लेकर दूसरे प्रदेश का रुख़ ना करना पड़े। किसानों को हाथों हाथ फसल की पेमेंट होनी चाहिए ताकि उन्हें काम-धंधे छोड़कर बार-बार सड़कों पर ना उतरना पड़े। अगर सरकार ने इन मांगों पर गौर नहीं किया तो कांग्रेस विधानसभा सत्र व् किसानों के साथ सड़कों पर उतरकर उसका पुरज़ोर विरोध करेगी।
गन्ना किसानों की मांगों को उठाते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एक बार फिर धान घोटाले की सीबीआई से जांच की मांग की है। उन्होंने कहा है कि अब तो सरकार की जांच में भी लगभग साफ हो गया है कि घोटाला हुआ है। लेकिन सरकार के मंत्री कोरी बयानबाज़ी करके कार्रवाई को टाल रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि सरकार ख़ुद दोषियों को बचाना चाह रही है। लेकिन प्रदेश की जनता भ्रष्टाचार के इस खेल को बख़ूबी समझ रही है।