इंडियन नेशनल लोकदल के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने हरियाणा सरकार के उस निर्णय की निंदा की है जिसके द्वारा बिना कर्मचारियों की आपत्तियों पर गौर किए उनके लिए प्रशासनिक प्राधिकरण के गठन का निर्णय लिया था। इस निर्णय के विरोध में पंजाब और हरियाणा के उच्च न्यायालय में वकील हड़ताल पर भी बैठे हुए हैं जिससे न्याय प्राप्त करने में आम आदमी को भी कठिनाई आ रही है।
अभय सिंह चौटाला ने कहा कि यह विचित्र बात है कि एक ऐसे समय जब हिमाचल प्रदेश, उड़ीसा और मध्यप्रदेश में प्रशासनिक प्राधिकरण की असफलता देखने के पश्चात वहां की सरकारों ने उसे भंग करने का निर्णय लिया है वहीं हरियाणा सरकार उनके अनुभवों के विपरीत इस प्राधिकरण का गठन कर रहा है। इस प्राधिकरण के गठन से कर्मचारियों को न्याय प्राप्त करने के लिए एक और बाधा को पार करना पड़ेगा। प्राधिकरण के निर्णय के विरोध में कर्मचारियों को पहले उच्च न्यायालय में अपील करेंगे और उसके पश्चात वे सर्वोच्च न्यायालय में जा सकेंगे। इस प्रकार अब उच्च न्यायालय में सीधे जाने का मार्ग उनके लिए बंद कर दिया गया है।
सरकार का यह कथन गुमराह करने वाला है कि कर्मचारियों के लगभग एक लाख एक अधिक मामले उच्च न्यायालय में लंबित थे और प्राधिकरण से उन्हें लाभ होगा। किंतु अन्य राज्यों में इस प्रयोग की असफलता के बाद भी इस प्रकार का प्रयोग हरियाणा में लागू करना अन्यायपूर्ण है। उच्च न्यायालय से अब एक लाख से अधिक मामले प्राधिकरण को भेज दिए जाएंगे और वह उनकी सुनवाई नए सिरे से करेगा। इस प्रकार वे मामले जो न्याय प्राप्त करने के आखिरी चरण में पहुंच चुके थे उनकी भी सुनवाई नए सिरे से होगी।