एसवाईएल का विवाद हरियाणा और पंजाब में बहुत पुराना है। एसवाईएल के मसले पर दोनों प्रदेशों में राजनीति भी बहुत हुई है। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से पंजाब, हरियाणा और केंद्र सरकार को आपस में बैठक करने को कहा है। कोर्ट के अनुसार तीनों पक्ष एक बार कोर्ट के आदेश को लागू करने को लेकर बैठक करें। इस मामले में 3 सितंबर को अगली सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट की इसी सलाह के बाद हरियाणा में नेताओं की ओर से बयान आने भी शुरू हो गये हैं।
स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश एस वाई एल नहर के मुद्दे पर पाखंड, झूठ और फूट की राजनीति को छोड़ प्रदेश और देश दोनों हित साधने का रास्ता खोलता है। उन्होनें कहा कि दोनों सरकारें यानी हरियाणा और पंजाब इस विवाद को हिंदुस्तान पाकिस्तान के झगड़े की तरह लेना बंद करें। प्रदेश और देश के दूरगामी हित की सोचें।
वहीं इसी मसले पर स्वराज इंडिया हरियाणा केअध्यक्ष राजीव गोदारा ने कहा कि प्रदेश की पार्टियां इस सवाल पर पाखंडी रवैया छोड़ें, राज्य के पानी में दक्षिण हरियाणा को हिस्सा देने की बात माने, पानी के बंटवारे की बजाय पानी के उपयोग के सवाल को प्राथमिकता दें। गोदारा ने कहा कि इनेलो राजनीतिक रोटीयां सेंकने के लिए एस वाई एल मामले में बातचीत का विरोध कर रही हैं, वह निंदनीय है।
सत्ताधारी चाहते हैं कि ये विवाद अटका रहे – योगेंद्र यादव
स्वराज इंडिया के नेताओं का कहना है कि इस केस में सुप्रीम कोर्ट 2002 में हरियाणा सरकार के पक्ष में फैसला सुना चुका है, लेकिन पिछले 17 साल में इसे लागू करवाने की बजाय सभी सरकारों ने इस मुद्दे का इस्तेमाल पंजाब और हरियाणा की जनता में फूट डालने और अपने क्षुद्र राजनैतिक स्वार्थ साधने के लिए किया है। दोनों राज्यों में सत्ताधारी यही चाहते है कि यह विवाद अटका रहे। पंजाब सरकार को यह हठ छोड़ना होगा कि वह कोर्ट के फैसले के बावजूद एस वाई एल बनने नहीं देगी। हरियाणा सरकार को यह दावा छोड़ना होगा कि वह पुराने अवार्ड में मिला पूरा हिस्सा लेकर रहेगी।