इनेलो ने मांग की है कि धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2400 रुपए प्रति क्विंटल, बाजरे का 2500 रुपए प्रति क्विंटल और कपास का 6000 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया जाए। सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन पर इनेलो के प्रदेशाध्यक्ष बीरबल दास ढालिया ने कहा कि सरकार का ये दावा कि नए घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्यों के बाद सरकार ने किसानों को उनके लागत मूल्य पर 50 प्रतिशत मुनाफा दे दिया है, तथ्यों से परे है।
इनेलो के प्रदेशाध्यक्ष ने सरकार को याद दिलाया कि कमीशन फॉर एग्रीकल्चरल कॉस्ट्स एंड प्राइसेज (सीएसीपी) के अनुसार हरियाणा में धान का प्रति क्विंटल लागत मूल्य वर्ष 2018 में सीएसीपी के गणित के अनुसार 1720 रुपए प्रति क्विंटल बनता था जिसके आधार पर इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य सरकारी आंकलन के अनुसार भी 2580 रुपए प्रति क्विंटल बनना चाहिए। इसी प्रकार कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य 7294 रुपए प्रति क्विंटल और बाजरे का 2301 रुपए प्रति क्विंटल बनता था। इन सरकारी आंकड़ों के बावजूद सरकार ने किस आधार पर खरीफ फसलों के लागत मूल्य को कम कर न्यूनतम समर्थन मूल्य को निर्धारित किया है, यह समझ से परे है।
वास्तविकता यह है कि लागत मूल्य की तुलना में न्यूनतम समर्थन मूल्य बहुत कम है और इनेलो एक बार फिर इस बात को दोहराती है कि जब तक स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट की न्यूनतम समर्थन मूल्य को निर्धारित करने संबंधी सिफारिशों को लागू नहीं किया जाता तब तक किसानों की समस्या का समाधान नहीं हो सकता। इसलिए सरकार अपनी हठधर्मिता त्यागे और उस रिपोर्ट के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करे।