हरियाणा में टी.बी रोग से ग्रस्त नए मरीज के बारे में स्वास्थ्य विभाग को प्रथम सूचना देने वाले को सरकार द्वारा 500 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है ताकि प्रत्येक मरीज को जल्द से जल्द चिह्नित करके उसे समुचित उपचार प्रदान किया जा सके।
एक सरकारी प्रवक्ता ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सरकार द्वारा टी.बी पर पूर्ण रूप से नियंत्रण पाने के लिए संशोधित राष्ट्रीय तपेदिक नियंत्रण कार्यक्रम (आरएनटीसीपी) चलाया जा रहा है। इस रोग की तुरंत पहचान करना मुश्किल होता है। उन्होंने बताया कि यदि लगातार 14 दिन तक खांसी ठीक न हो तो उसकी जांच निकटवर्ती सरकारी अस्पताल में करवानी चाहिए।
सरकार द्वारा टी.बी को जड़ से खत्म करने के लिए अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं। मरीज का पूरा इलाज मुफ्त तो किया जाता ही है, साथ ही उसके बैंक खाते में पोषण योजना के तहत 500-500 रुपये की छह किश्तों में 3000 रुपये भी सरकार द्वारा भिजवाए जाते हैं। इतना ही नहीं, टी.बी मरीज के संबंध में स्वास्थ्य विभाग को प्रथम सूचना देने वाले किसी भी व्यक्ति, निजी अस्पताल तथा केमिस्ट को 500 रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है।
प्रवक्ता ने बताया कि सभी मरीजों का समुचित उपचार करने के लिए प्रत्येक मरीज को चिह्नित करना जरूरी है। इसके लिए प्रदेश में जागरूकता अभियान चलाया जाएगा और आमजन के संपर्क में रहने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आंगनवाड़ी केंद्रों, सरकारी व निजी विद्यालयों तथा ग्राम पंचायत की बैठकों में भी टी.बी रोग तथा इसके उन्मूलन के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की संपूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाई जाएगी।
टी.बी का इलाज बिल्कुल फ्री और साथ में सुविधाएं भी…..
केंद्र व प्रदेश सरकार टी.बी रोग को जड़ से खत्म करने के लिए प्रतिबद्घ है। उन्होंने बताया कि यदि टी.बी रोग का नियम के अनुसार उपचार किया जाए तो यह 6 महीने में ठीक हो जाता है लेकिन दवा बीच में छोडऩे पर यह बिगड़ जाता है और इसे ठीक होने में कम से कम डेढ़ साल लग जाते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की मदद से उपचार करवा रहे 81 प्रतिशत मरीजों का डाटा नेशनल पोर्टल पर उपलब्ध है।
उन्होंने बताया कि सरकारी अस्पतालों में टी.बी का उपचार बिल्कुल निशुल्क है और मरीज को कई प्रकार की अन्य सुविधाएं भी दी जा रही हैं।
कई ऐसे मरीजों का विवरण अभी तक सरकार के पास नहीं है जो या तो ऐसे निजी अस्पतालों से दवा ले रहे हैं जिनका डाटा हमें नहीं मिलता अथवा ऐसे मरीज जो स्वयं नहीं जानते कि उन्हें टी.बी है। इस दिशा में सभी मरीजों की जानकारी प्राप्त करने के लिए उन केमिस्टों को भी 500 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है जिनसे टी.बी के मरीज दवा लेते हैं।