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राहुल गांधी अमेठी के अलावा क्यों लड़ रहे हैं साउथ से चुनाव

कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज केरल के वायनाड से पर्चा दाखिल कर दिया है। उनके साथ उनकी बहन और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी मौजूद रहीं। पर्चा दाखिल करने के बाद राहुल और प्रियंका ने रोड शो भी निकाला। दरअसल राहुल इस बार दो सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं। राहुल इस बार अमेठी के अलावा वायनाड से भी चुनाव लड़ रहे हैं।

 

राहुल गांधी से जब पूछा जाता है कि वो अमेठी के अलावा वायनाड से क्यों लड़ रहे हैं तो उनका ये कहना होता है कि ‘मैं साउथ के लोगों को संदेश दे सकूं कि देश उनके साथ खड़ा हूं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, संघ और बीजेपी की विचारधारा दक्षिण भारत के लोगों के खिलाफ है। मैं संदेश देना चाहता था कि मैं नॉर्थ से भी लड़ूंगा और साउथ से भी लड़ूंगा ताकी इन लोगों को लगे कि हम उनके साथ हैं वो अकेल नहीं हैं।’

 

दरअसल इस बार ये कांग्रेस की रणनीति है। पिछली बार बीजेपी की रणनीति थी कि पीएम नरेंद्र मोदी दो जगह से चुनाव लड़ थे। गुजरात और यूपी की वाराणसी से। पीएम का वाराणसी से लड़ना बीेजपी के लिये इतना फायदेमंद रहा कि बीजेपी ने यूपी की 80 सीटों में से 71 पर जीत हासिल की।

 

कांग्रेस अब बीजेपी की रणनीति को ही अपना कर आगे बढ़ रही है। यूपी से तो राहुल लड़ ही रहे हैं तो कांग्रेस ने सोचा कि अगर साउथ में भी पकड़ बनानी है तो क्यों ना राहुल को साउथ की किसी सीट से भी मैदान में उतारा जाये। खैर ये देखना होगा कि राहुल का साउथ से चुनाव लड़ना ठीक वैसा हो सकता है जैसा मोदी का वाराणसी से चुनाव लड़ना था।

 

राहुल गांधी ने केरल की वायनाड सीट को ही क्यों चुना……

 

राहुल गांधी ने साउथ में वायनाड सीट को ही क्यों चुना। दरअसल गांधी परिवार’ का यहां से भावनात्मक रिश्ता रहा है। 1991 में राहुल के पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद उनकी अस्थियों को वायनाड की पापनाशिनी नदी में विसर्जित किया गया था। अस्थियों को विसर्जित करने के लिये पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी के साथ राहुल गांधी खुद वायनाड गए थे।

 

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से लेकर इंदिरा गांधी तक का वायनाड से गहरा लगाव रहा है। इसके अलावा राहुल गांधी की रणनीति यहां से केरल के अलावा तमिलनाडु और कर्नाटक को साधने की भी है। दरअसल वायनाड लोकसभा सीट की भौगोलिक स्थिति को देखें तो ये केरल के अलावा तमिलनाडु और कर्नाटक को भी टच करता है। इसलिये राहुल का फोकस केरल की 20 सीटों के अलावा तमिलनाडु की 39 और कर्नाटक की 28 लोकसभा सीटों पर भी है।

 

देखना होगा कि कांग्रेस की ये रणनीति कितनी कामयाब होती है लेकिन कांग्रेस इस चुनाव में एक अलग रणनीति के तहत चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस इस बार आक्रामक तरीके से चुनावी मैदान में है। पिछली बार पूरे देश में मोदी लहर थी , जिस किसी को भी बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया, मोदी के नाम पर जीत मिली। इस बार राहुल का निशाना पीएंम मोदी पर है। राहुल की कोशिश है कि पीएम मोदी पर अटैक करके ही इस चुनाव को बीजेपी बनाम कांग्रेस बनाया जा सकता है।

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