हिमाचल में बीजेपी सरकार में मंत्री अनिल शर्मा प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम ‘मैं भी चौकीदार’ से दूर रहे। दरअसल रविवार को पूरे देश में ये कार्यक्रम करवाया गया था। इसी कड़ी में मंडी के भांबला में आयोजित मैं भी चौकीदार से दूरी बनाये रखी। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह बेटे का मंडी से कांग्रेस की ओर से चुनाव लड़ना है।
अनिल शर्मा ने कुछ दिन पहले ही साफ कर दिया था कि वो बेटे के खिलाफ प्रचार नहीं करेंगे। दरअसल अनिल शर्मा के बेटे आश्रय शर्मा मंडी लोकसभा से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। ऐसे में अनिल शर्मा धर्मसंकट में हैं , हालांकि उन्होनें कुछ दिन पहले ही प्रदेश के मुख्यमंत्री को इस बाबत बता दिया था कि वो बेटे के खिलाफ प्रचार नहीं कर सकते।
बेटा कांग्रेस की ओर से लड़ रहा है मंडी से चुनाव…..
पंडित सुखराम जो कि अनिल शर्मा के पिता हैं, वो कुछ दिन पहले अपने पौते को लेकर दिल्ली पहुंचे और कांग्रेस में शामिल हो गये। कांग्रेस ने भी देर नहीं लगाई और आश्रय शर्मा को मंडी से उम्मीदवार बना दिया। दरअसल कांग्रेस को पता है कि पंडित सुखराम का मंडी में काफी वजूद है। अब जब बेटा दूसरी पार्टी से चुनाव लड़ रहा है तो अनिल शर्मा कैसे बेटे के खिलाफ प्रचार कर सकते हैं।
हिमाचल की बीजेपी सरकार में मंत्री अनिल शर्मा का ‘मैं भी चौकीदार’ कार्यक्रम में हिस्सा ना लेना उन्हें भारी पड़ सकता है। अनिल शर्मा के लिये अब बीजेपी में टिकना आसान नहीं है। आने वाले दिनों में उन्हें मंत्री पद से हटाया जा सकता है। हालांकि अनिल शर्मा ने साफ कर दिया है कि वो ना तो मंत्रीपद से और ना ही पार्टी से इस्तीफा देंगे।
अनिल शर्मा के इस फैसले के बाद अब बीजेपी हाईकमान को देखना है कि वो अनिल शर्मा पर क्या कार्रवाई करती है। वहीं अनिल शर्मा ने कहा है कि अगर पार्टी चाहे तो वो किसी दूसरे संसदीय क्षेत्र में बीजेपी के लिये प्रचार कर सकते हैं।
मंडी के लोग किसका देंगे साथ…….
दरअसल लंबे समय से मंडी की सीट पर पंडित सुखराम परिवार का दबदबा रहा है। पहले परिवार इकट्ठा होता था तो अब परिवार राजनीतिक तौर पर अलग नजर आ रहा है। देखना होगा कि मंडी के लोग जो पंडित सुखराम के साथ हैं वो किसका साथ देते हैं लेकिन मंडी से बीजेपी के उम्मीदवार रामस्वरूप शर्मा के लिये मुश्किल हो जायेगा जब पंडित सुखराम का परिवार उनके लिये प्रचार नहीं करेगा।
2014 के चुनाव में बीजेपी ने प्रदेश की चारों लोकसभा सीटों पर कब्जा किया था। इस बार हालांकि दो सीटों पर बीजेपी ने अपने उम्मीदवार बदले हैं। बीजेपी के वरिष्ठ नेता शांता कुमार भी इस बार कांगड़ा से चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। देखना होगा क्या बीजेपी चारों सीटे बचाने में कामयाब रहती है या फिर कांग्रेस सेंध लगाने में कामयाब होगी।