देश के पूर्व रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर को सलाम…..
आपके आस पास क्या कोई मनोहर पर्रिकर जैसा नेता है। आप नजर दौड़ाइये एक बार फिर से देखिये आपके राज्य में कोई ऐसा नेता है जो पर्रिकर जैसी सादमी में रहता हो , उनके जितनी मेहनत करता हो , मेहनत अपने लिये नहीं , देश के लिये, राज्य के लिये। हमारे देश में बड़े बड़े नेताओं की तादाद हजारों में होगी लेकिन पर्रिकर जैसे नेता दहाई का आंकड़ा भी पार नहीं करेंगे।
हमारे देश में नेता बहुत हैं लेकिन जननेता कितने हैं या कितने लोग बन पाये ये संख्या बहुत कम है। मनोहर पर्रिकर जैसी सादगी में रहना दरअसल हमारे नेताओं के बस में नहीं है। हमारे नेता , नेता कम और दिखावा ज्यादा करते हैं। हमारे नेता बड़ी बड़ी गाड़ियों में चलते हैं, ना सिर्फ वो खुद चलते हैं बल्कि अपने साथ अपने आदमियों की फौज लेकर चलते हैं। उनको लगता है कि जितना काफिला बड़ा होगा, आप नेता भी उतने बड़े होंगे।
नेता में सिर्फ सादमी ही बड़ा नेता नहीं बनाती। नेता की इमानदारी और जनता के लिये ज्यादा से ज्यादा सोचना और करना नेता को बड़ा बनाता है। ये सब मनोहर पर्रिकर में दिखाई देता था। गोवा में 2004 के फिल्म फेस्टिवल में सब हैरान रह गये थे जब पर्रिकर खुद पसीने से लथपथ पुलिसवालों के साथ ट्रैफिक व्यवस्था को कंट्रोल कर रहे थे। क्या कभी आपने ऐसा करते दूसरे नेता को देखा। यहां तो बड़े बड़े काफिले में नेता चलते हैं, पुलिस वालों के सहारे वो खुद ट्रैफिक से निकल जाते हैं। क्या कभी देखा है कि इतनी बड़ी बीमारी होने के बावजूद कोई नेता आखिरी दम तक देश के लिये काम कर रहा हो।
क्या कहते थे पर्रिकर कि देश का नेता कैसा हो…..
पर्रिकर को जनता स्कूटर वाला मुख्यमंत्री कहती थी। वो मुख्यमंत्री होते हुये भी स्कूटर से ऑफिस जाते थे। पर्रिकर ज्यादातर हाफ शर्ट में नजर आते थे। फुटपाथ पर ही चाय-नाश्ता कर लिया करते थे और वहीं से ही लोगों की दिक्कतों परेशानियों को समझ लेते थे। पर्रिकर को हूटर बजाने वाली गाड़ियां पसंद नहीं थी। पर्रिकर कहते थे कि सभी नेताओं को चाय – स्टॉल पर चाय पीनी चाहिये, सभी जानकारियां वहीं से मिल जायेंगी। पर्रिकर खुद का काम भी लाइन में लगकर करवाते थे।
देश के नेताओं को पर्रिकर से सीखना चाहिये। पर्रिकर जैसे नेता लोगों के दिलों में जगह बनाते हैं वर्ना पांच साल के बाद नेता सोचता है कि इस बार किस मुद्दे को लेकर लोगों के बीच जाऊं। दरअसल हर पार्टी में ज्यादा नहीं सिर्फ दो-चार नेता ही ऐसे मिलेंगे जो ज्यादा दिखावा नहीं करते और दिल से लोगों के लिये काम करना चाहते हैं वर्ना सब खुद के बारे में सोचते हैं कोई देश या प्रदेश के बारे में नहीं सोचता।
आज देश को जरूरत पर्रिकर जैसे नेताओं की है ताकि देश को आगे ले जाया जा सके। हमारे देश में नेताओं की सुरक्षा, उनकी सैलरी, भत्ते , उनकी कोठियों पर खर्च, रख रखाव पर खर्च ये इतना है कि शायद ही कहीं हो। देश के खजाने में से बड़ा हिस्सा नेताओं पर खर्च होता है। हमारे देश में चुनाव पर नेता लोग करोड़ों रूपया खर्च करते हैं। अगर सही से काम करें तो ये पैसा खर्च करने की जरूरत ना पड़े।
आज मनोहर पर्रिकर के जाने के बाद नेता लोग उनकी प्रशंसा तो कर रहे हैं, काश थोड़ा उन जैसा बन जायें या उनकी तरह काम करने लगें तो देश में बहुत जल्द सुधार लाया जा सकता है। लोगों को भी ऐसे ही लोगों का साथ देना चाहिये जो खुद के नहीं बल्कि जनता के बारे में सोचे।