गोवा जैसे छोटे राज्य में 1 मुख्यमंत्री और 2 उपमुख्यमंत्री बनाये जा रहे हैं। दरअसल गोवा को मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के देहांत के बाद कांग्रेस ने सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया। अब बीजेपी को अपना किला बचाने के लिये 1 मुख्यमंत्री के साथ 2 उपमुख्यमंत्री बनाने पड़े। अगर बीजेपी ऐसा नहीं करती तो हो सकता था कि सरकार चली जाती।
बीजेपी हाईकमान को सरकार बचाये रखने के लिये काफी मशक्कत करनी पड़ी। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी गोवा पहुंचे और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. प्रमोद सावंत के नाम पर सहमति बनाने में कामयाब रहे। हालांकि सभी विधायकों और गठबंधन के दलों को इसके लिए मनाने में उन्हें काफ़ी मशक्कत करनी पड़ी। खबर ये भी थी कि काफी विधायक प्रमोद सावंत को मुख्यमंत्री बनाने के हक में नहीं थे।
दरअसल 2017 के चुनाव का परिणाम त्रिशंकु विधानसभा के रूप में आया था जिसमें 17 सीटों के साथ कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी वहीं बीजेपी को 13 सीटें ही मिली थी। बाक़ी की 10 सीटों में से तीन-तीन महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी और गोवा फ़ॉरवर्ड पार्टी को, एक एनसीपी को और तीन निर्दलीयों को मिली थीं। मौजूदा समय में कांग्रेस के पास 14 विधायक हैं। बीजेपी के पास 12 हैं, लेकिन बीजेपी के साथ सहयोगी पार्टियाँ हैं और फ़िलहाल ऐसे कोई संकेत नहीं हैं जिससे लगे कि वैचारिक मतभेद के बावजूद वे पाला बदलने को तैयार हैं। बीजेपी ने फ़िलहाल गोवा फ़ॉरवर्ड और महाराष्ट्रावादी गोमांतक पार्टी, दोनों को उपमुख्यमंत्री पद देकर अपने साथ गठबंधन में बनाये रखा है।
मनोहर पर्रिकर ही ऐसे नेता थे जो सभी को साथ लेकर चल रहे थे और उन्हीं के नाम पर ही दूसरे दलों या निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी का साथ दिया था। अब सरकार तो बीजेपी ने बचा ली है लेकिन आगे का रास्ता इतना आसान नहीं है। हालांकि बीजेपी ने 2 मुख्यमंत्री बनाकर संतुलन बनाने की पूरी कोशिश की है।