पाकिस्तान के डेलिगेशन के साथ भारतीय डेलिगेशन की बातचीत अटाली-वाघा सीमा पर शुरू होे गई है। ये बातचीत करतारपुर कॉरिडोर को लेकर चल रही है। दोनों देशो की ओर से इस कॉरिडोर पर सहमति जताने के तीन महीने बाद ये बैठक हो रही है। पुलवामा आतंकी हमले के बाद जिस तरह के हालात दोनों देशों के बीच बने थे उसको लेकर ऐसा लग रहा था कि इस प्रोजेक्ट में देरी हो सकती है।
भारत की ओर से इस बातचीत में केंद्रीय गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, बीएसएफ, पंजाब सरकार के अफसर और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग विकास प्राधिकरण के अधिकारी शामिल हैं।
करतारपुर कॉरिडोर को लेकर मांग तो लंबे समय से चल रही थी लेकिन पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार बनने के बाद इस विषय पर गौर किया गया और दोनों देशों के बीच बातचीत शुरू हुई। दोनोें देशों की ओर से प्रोजेक्ट के बारे में खाका तैयार किया जा चुका है। इस बातचीत में उस खाके को अंतिम रूप दिया जायेगा।
पाकिस्तान सरकार की ओर से भी रूट मैप तैयार किया जा चुका है कि कहां क्या बनेगा वहीं भारत सरकार की ओर से भी तैयारी कर ली गई है। ये कॉरिडोर पंजाब के गुरदासपुर जिले डेरा बाबा नानक को पाकिस्तान के शहर करतारपुर स्थित गुरूद्वारा दरबार साहिब को जोड़ेगा।
करतारपुर में स्थित गुरूद्वारा साहिब से सिक्खों की भावनाएं जुड़ी हैं। दरअसल सिक्खों के पहले गुरू श्री गुरू नानक देव जी का ये निवास स्थान था और यहीं पर गुरू जी ने अंतिम सांस ली थी। हर साल गुरूपर्व पर भारत से काफी तादाद में सिक्ख वहां दर्शन करने जाते हैं। इसके अलावा गुरदासपुर पास बॉर्डर पर दूरबीन लगी है जिससे भी लोग वहां के दर्शन करते हैं।
पाकिस्तान की ओर से हालांकि ये कहा गया है कि करतारपुर साहिब में जाने के लिये भारतीयों कोे वीजा की जरूरत होगी। जिस पर भी बातचीत जारी है। वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने कहा कि लोगोें को वहां दर्शन करने के लिये वीजा की जरूरत नहीं होनी चाहिये।