देश का किसान सरकारों से मांग करते करते थक गया है और अब किसानों ने खुद चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया है। दरअसल किसानों की कई यूनियन ने चंडीगढ़ में इकट्ठे होकर मंथन किया और फैसला किया कि अब किसान चुनाव लड़ेंगे। देश का किसान लंबे समय से धरना प्रदर्शन कर रहा है लेकिन उनकी कई मांगे हैं जिनको अभी तक नहीं माना गया है। पिछली बार चुनाव में बीजेपी ने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने का वादा किया था लेकिन अभी तक नहीं लागू नहीं की गई। किसानों का कहना है कि सरकारें आई और गई लेकिन किसी ने भी किसान की तरफ ध्यान नहीं दिया।
देश में कर्ज से दबे किसान की आत्महत्या की हर दूसरे दिन खबर आती है। पंजाब और महाराष्ट्र में किसान की आत्महत्या का आंकड़ा सबसे उपर है। पंजाब का किसान और महाराष्ट्र का किसान लंबे समय से संघर्ष कर रहा है। किसानों ने रेल लाइनों को रोक कर देख लिया, रास्ते जाम करके देख लिये लेकिन हर बार सरकार की ओर से आश्वासन मिलता है। अब किसानों की कई यूनियन ने ये फैसला लिया है कि आने वाले लोकसभा के चुनाव में किसान उम्मीदवार उतारे जायेंगे।
चंडीगढ़ में जो किसानों की यूनियन के जो नेता पहुंचे और मंथन किया उनमें किसान मंच शादीपुर पंजाब से बूटा सिंह , भारतीय किसान यूनियन (राजोवाल) पंजाब से बलबीर सिंह राजोवाल, डेमोक्रेटिक आदिकिसान महासंघ राजस्थान से विनोद खीचड़, ग्रामीण किसान समिति राजस्थान से रामप्रकाश, गंगा नगर किसान समिति राजस्थान से संतवीर सिंह , भारतीय किसान यूनियन हरियाणा से सेवा सिंह , भारतीय किसान यूनियन हरियाणा से गुरनाम सिंह , भारतीय किसान यूनियन से सुरेश दहिया और राष्ट्रीय किसान मजदूर पार्टी से वीएम सिंह समेत दर्जनो किसान मौजूद थे।