देश मे लंबे समय से ये मांग उठ रही थी कि जम्मू कश्मीर में जो अलगाववादी नेता हैं। जो हमेशा पाकिस्तान का गुणगान करते हैं। जब कभी भी देश पर हमला होता है तो वो भारत के नहीं बल्कि पाकिस्तान के पक्ष में बोलते हैं, उन पर बैन लगाया जाये , उनको जो सरकारी सुविधा मिलती है, सुरक्षा मिलती है उसको वापस लिया जाये। पहले तो नहीं हुआ लेकिन इस बार सरकार ने जम्मू कश्मीर के पांच अलगाववादी नेताओं को दी गई सुरक्षा वापस लेने के आदेश जारी कर दिये हैं। माना जा रहा है कि रविवार शाम तक इनसे सुरक्षा वापस ले ली जायेगी। इतना ही नहीं बल्कि इनको सरकारी खर्चे पर कोई भी सुविधा नहीं दी जायेगी। इन हुर्रियत और अलगाववादी नेताओं के नाम हैं – मीरवाइज उमर फारूक, अब्दुल गनी बट्ट, बिलाल लोन, हाशमी कुरैशी और शब्बीर शाह। हालांकि एक अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी का नाम इस लिस्ट में नहीं है।
अभी जम्मू कश्मीर का प्रशासन और समीक्षा करेगा कि ऐसे लोग और कौन से हैं जिन्हें सरकारी सुविधा दी गई है वो भी वापस ली जायेगी। दरअसल इन अलगाववादी नेताओं पर आरोप है कि ये आतंकी संगठनों को शह देते हैं। जम्मू कश्मीर के युवाओं को देश के प्रति भड़काते हैं। पुलवामा हमले के बाद से ही ये मांग उठी कि क्यों ना इन लोगों को मुफ्त में दी गई इतनी सहुलियत वापस ले ली जाये।
धारा 370 को भी हटाने की मांग जोरों पर………
वहीं एक मांग और है कि जम्मू कश्मीर से धारा 370 को हटा लिया जाये। ये मांग भी लंबे समय से देश में उठ रही है लेकिन आज तक किसी भी सरकार ने इस धारा को हटाने की हिम्मत नहीं दिखाई है। धारा 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से सम्बन्धित क़ानून को लागू करवाने के लिये केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिये। इस धारा की वजह से जम्मू कश्मीर को कुछ और भी विशेष अधिकार मिले हुये हैं।
दरअसल इस तरह की मांग तभी उठती है जब आतंकी संगठन कोई हमला करते हैं। जब आतंकी संगठन हमारे देश के सैनिकों और जनता को निशाना बनाते हैं। उसके बाद सब भूल जाते हैं। पुलवामा हमले के बाद पूरे देश में गुस्सा है। देशवासी कह रहे हैं कि बिना युद्द के 41 सैनिकों का शहीद हो जाना अब बर्दाश्त से बाहर है। वहीं सरकार भी कड़ा फैसला ले सकती है।