देश के सिस्टम पर उठे सवाल…………
पुलवामा आतंकी हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियों पर भी सवाल उठ रहे हैं। खबर ये है कि पहले से ही रिपोर्ट थी कि ऐसा हमला हो सकता है उसके बावजूद इतनी बड़ी तादाद में सीआरपीएफ के सैनिकों का काफिला रोड़ से क्यों ले जाया जा रहा था। पिछले साल कश्मीर में अर्धसैनिक बलों के जवानों को लाने-लेजाने को लेकर हवाई सेवा शुरू की गई थी लेकिन थोड़े समय बाद ही इसको रोक दिया गया। अब खबर ये भी है कि दोबारा से हवाई सेवा को शुरू करने का प्रस्ताव करीब 4 महीने से गृह मंत्रालय के पास अटका हुआ है।
बताया जा रहा है कि 4 फरवरी से ही बर्फबारी को देखते हुये जम्मू में फंसे सीआरपीएफ के जवानों को हवाई जहाज से ही जम्मू से श्रीनगर लेजाने की मंजूरी मांगी गई थी। सीआरपीएफ के अधिकारियों ने इस बाबत प्रस्ताव भी हेडक्वार्टर को भेजा था। हेडक्वार्टर ने ये प्रस्ताव गृह मंत्रालय को फारवर्ड कर दिया था। कई दिन बीत जाने के बाद जब जवाब नहीं आया तो सीआरपीएफ के इस काफिले को 14 फरवरी को सुबह रोड़ से रवाना किया गया और दोपहर को ही पुलवामा के पास आत्मघाती आतंकी हमला हो गया जिसमें देश के 41 जवान शहीद हो गये।
यहां सवाल ये खड़ा होता है कि क्यों नहीं इन जवानों को हवाई जहाज से भेजने की परमिशन दी गई। काश इन जवानों को हवाई जहाज से भेजा जाता तो आतंकी अपने मंसूबे में कामयाब ना हो पाते। वहीं जब इस तरह के हमले के इनपुट थे तो क्यों नहीं जरूरी सुरक्षा के कदम उठाये गये। वहीं हमारे देश में जब किसी मंत्री, मुख्यमंत्री को बड़े-बड़े जहाज से इधर-उधर ले जाया जाता है तो फिर हमारे सैनिकों को क्यों नहीं और वो भी खासकर जम्मू कश्मीर में जहां हर समय इस तरह का हमला होने का खतरा रहता है