आज आपने एक बात को नोटिस किया होगा। वो ये कि जो मीडिया कवरेज पीएम मोदी को मिलती है वैसी ही कवरेज प्रियंका गांधी के रोड शो को मिली। आज सभी चैनल्स के 5-7-8-10 बड़े रिपोर्टर लखनऊ में थे और लगातार कवरेज लाईव दे रहे थे। इसे मीडिया की मजबूरी कहें या टीआरपी का खेल लेकिन कुल मिलाकर प्रियंका गांधी का रोड शो मीडिया के हिसाब से सुपरहिट रहा।
सोमवार का दिन, प्रियंका गांधी लखनऊ में रोड शो कर रही थी और साथ में थे राहुल गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया। देश का नेशनल मीडिया (एक-आध को छोड़कर) पूरा दिन ये रोड शो दिखा रहा था। हालांकि एक तरफ पीएम मोदी वृंदावन मे थे और यूपी के मुख्यमंत्री विधानसभा में बजट सत्र को लेकर बोल रहे थे। कांग्रेस जो उम्मीद कर रही थी प्रियंका गांधी के सक्रिय तौर पर राजनीति में आने के बाद मिलने वाले रिसपॉन्स की तो कुल मिलाकर वैसा रिसपॉन्स मिला भी। प्रियंका गांधी की शुरूआत अच्छी हो गई है हां अंजाम चुनाव के बाद पता चलेगा।
लखनऊ में 14 किलोमीटर लंबे रोड शो में काफी भीड़ देखने को मिली। जिस तरह से पीएम मोदी जहां जाते हैं तो मोदी मोदी जैसे नारे सुनने को मिलते हैं तो यहां प्रियंका प्रियंका के साथ – साथ राहुल एक और नारे पर ज्यादा जोर दे रहे थे जो वो अपने हर भाषण में आजकल बोलते हैं। लखनऊ के रोड शो में मिले रिसपॉन्स को देखते हुये राहुल गांधी ने कहा कि ना सिर्फ लोकसभा 2019 बल्कि यूपी के विधानसभा चुनाव पर भी उनका फोकस है। रोड शो के दौरान प्रियंका गांधी तो नहीं बोली लेकिन राहुल गांधी जरूर बोले।
लखनऊ के रोड शो ने बीजेपी को सोचने पर मजबूर कर दिया होगा कि अब यूपी में 2014 की परफॉर्मेंस को दोहरा पाना इतना आसान नहीं होगा। एक तरफ बसपा और सपा का गठबंधन और दूसरी तरफ अब कांग्रेस की प्रियंका गांधी। हालांकि प्रियंका के लिये भी राहें आसान नहीं हैं। यूपी में वहां के मुख्यमंत्री के गढ़ और पीएम जहां से चुनाव लड़ते हैं, वहां वोटरों के दिल में जगह बना पाना खाला जी का घर नहीं है। हां एक बात तो है पीएम मोदी की तरह अब प्रियंका गांधी को भी मीडिया की कवरेज फुल मिल सकती है। मीडिया की कवरेज वोटर का मूड बदलती है। जो हमने पिछले चुनाव में देखा है।
लखनऊ में हुये रोड शो के बाद अब दूसरे राज्यों के कांग्रेसी भी प्रियंका को बुलाना चाहेंगे। दूसरे राज्य खासकर जहां लोकसभा के बाद विधानसभा के भी चुनाव हैं। उन राज्यों के कांग्रेसियों में थोड़ा जोश आया होगा। यूपी में चार दिन बिताने के बाद प्रियंका दूसरे राज्यों का रूख भी कर सकती हैं लेकिन प्रियंका का ज्यादा फोकस यूपी पर ही रहेगा। हां एक बात और बसपा और सपा जिनका हाल ही में गठबंधन हुआ है और गठबंधन के वक्त कांग्रेस को तवज्जो नहीं दी गई, लखनऊ के रोड शो के बाद उन पार्टियों के नेताओं को भी सोचने पर मजबूर कर दिया होगा। खैर ये राजनीति है और राजनीति कब कौनसी चाल कोई चल दे कहा नहीं जा सकता।