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हरियाणा में एक गठबंधन टूटा, दूसरे का एलान- आगे भरोसा क्या

लोकसभा के चुनाव और हरियाणा में विधानसभा के चुनाव नजदीक हैं तो राजनीतिक हलचल भी तेज हो गई है। हरियाणा में एक गठबंधन टूट गया है और दूसरे गठबंधन का एलान हो गया है। जींद चुनाव के बाद  इनेलो – बसपा गठबंधन पर खतरे के बादल मंडराने लगे थे। हमने कल ही आपको बता दिया था । नया गठबंधन मायावती की पार्टी बसपा का राजकुमार सैणी की पार्टी लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के बीच हुआ है।

 

जब इनेलो और बसपा का गठबंधन हुआ था मैने उसी दिन ये बोला था कि चुनाव तो दूर है चुनाव से पहले ही ये टूट सकता है। ठीक हुआ भी वैसा ही। उस समय भी बसपा के नेताओं की ओर से यही बाते बोली गई थी जो अब नये गठबंधन के समय बोली गई। बसपा के प्रदेश प्रभारी मेघराज ने कहा कि जनता की इ्च्छाओं को देखते हुये ये दो दिलों का मेल हो रहा है। अब भी जनता की राय है और दो दिलाें का मेल।

 

जब मीडिया की ओर से सवाल दागे गये तो बसपा के नेता जी बंगले झांकने लगे। वो भी क्या करें, बहन जी के आगे किसकी चलती है। एक बात जरूर बार बार उनकी ओर से बोली जा रही थी कि कोशिश रहेगी कि ये गठबंधन कामयाब हो। वहीं राजकुमार सैणी साहब भी बोल रहे थे कि निश्चित तो कुछ भी नहीं है। मतलब यकीन नहीं है अब गठबंधन पर कि पता नहीं कब क्या हो जाये। दरअसल इतिहास ऐसा रहा है हरियाणा में बसपा पार्टी का। तकरीबन हर पार्टी के साथ बसपा गठबंधन कर चुकी है। एक से तोड़कर दूसरी पार्टी के साथ। पिछले कई चुनावों से यही चला आ रहा है।

 

दोनों पार्टियो की ओर से गठबंधन करने के साथ ही सीटों का भी एलान कर दिया है। हालांकि बसपा और इनेलो का जो गठबंधन था उसमें सीटों का बटवारा नहीं हुआ था लेकिन यहां तो पहले दिन ही चौका और छ्कका मार दिया गया। मतलब लोकसभा की सीटों का बटवारा और विधानसभा की भी। लोकसभा मे बसपा 8 सीटों पर तो लोसपा 2 पर चुनाव लड़ेगी। वहीं विधानसभा में बसपा 35 पर तो लोसपा 55 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

 

इनेलो से बसपा का गठबंधन टूटने के पीछे की वजह……

नये गठबंधन के एलान के समय बसपा नेता ने कहा कि इनेलो दोफाड़ हो गई और हम जींद चुनाव तक देखना चाहते थे। अब हमे लगता है कि इनेलो के साथ गठबंधन से हम बीजेपी को हरा नहीं पायेंगे तो हमने सोचा कि लोसपा एक पार्टी है जिसके साथ गठबंधन करके हम बीजेपी को हरा सकते हैं। लो कर लो बात। आज नये गठबंधन के समय एक बात तो देखने लायक थी वो ये कि बसपा वाले खुश नहीं थे। पता नहीं क्यों चेहरे मुरझाये हुये थे। अच्छा एक बात और जो बसपा नेता बोल रहे थे वो ये कि बसपा और इनेलो के कार्यकर्ता तो उस गठबंधन से खुश थे और आज कहा जा रहा है कि जनता कि उम्मीदों को देखते हुये नया गठबंधन होने जा रहा है। मतलब कुछ भी।

 

क्या इस गठबंधन में दूसरी पार्टियां भी शामिल हो सकती हैं….

जब ये सवाल मीडिया की ओर से दागा गया तो राजकुमार सैणी ने कहा कि हमने तो आज ही सभी सीटों का बटवारा कर दिया है। हां अगर कल को कोई जरूरत पड़ेगी या बहनजी समझेंगी तो 2-3 सीटें देकर किसी पार्टी को शामिल किया जा सकता है। दरअसल चर्चा ये थी कि ये दो पार्टीयां और जेजेपी प्लस ‘आप’। ये सभी मिल सकते हैं। फिलहाल ऐसा नहीं लग रहा है। क्योंकि राजकुमार सैणी जाटों को पसंद नहीं करते ऐसे में जेजेपी साथ कैसे आ सकती है। हां दूसरे गठबंधन की चर्चा है वो ये कि जेजेपी, ‘आप’ और अकाली दल लेकिन उसमें लगता नहीं कि अकाली दल और ‘आप’ इक्कठे आयें। दरअसल पंजाब में ‘आप’ और अकाली दल एक दूसरे को बहुत कोसते हैं। हां जेजेपी और ‘आप’ का गठबंधन आने वाले दिनों में हो सकता है उस पर दोनों पार्टियों की ओर से मंथन चल रहा होगा कि गठबंधन का स्वरूप क्या रहेगा।

 

तो कुल मिलाकर हरियाणा में गठबंधन की राजनीति चल रही है। जब इनेलो-बसपा का गठबंधन नहीं रहा और बसपा का इतिहास कहता है कि गठबंधन तोड़ना और नया बनाना उनका कल्चर है तो इस नये गठबंधन पर कैसे उम्मीद की जाये कि ये भी टिकेगा या इस गठबंधन पर भरोसा किया जा सकता है।

 

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