जींद के उपचुनाव में मतदान 28 जनवरी यानि सोमवार को होगा। लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले इस उपचुनाव पर पूरे देश की नजर है। वो नजर इसलिये कि कांग्रेस के दिग्गज उम्मीदवार रणदीप सुरजेवाला मैदान में हैं। जेजेपी की ओर से दिग्विजय चौटाला जिसे आम आदमी पार्टी का समर्थन हासिल है। ये चुनाव सभी पार्टियो की ओर से अपने आप को साबित करने का चुनाव है।
जींद चुनाव में प्रचार का शोर शनिवार को थम गया। प्रचार थमने से पहले हर पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी। बीजेपी,कांग्रेस और जेजेपी की ओर से रैली कर शक्ति प्रदर्शन किया गया। वहीं लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी की ओर से रोड शो निकाला गया। हालांकि इनेलो की ओर से रैली नहीं की गई। बीजेपी कांग्रेस औऱ जेजेपी की रैली में भीड़ तो तकरीबन एक जैसी जुटी लेकिन जेजेपी ने प्रचार के आखिरी दिन रैली की। रैली में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पुरजोर तरीके से जेजेपी का समर्थन किया।
अब जब प्रचार थम गया है। तो बाहर से जो लोग यहां पहुंचे हुये थे बड़ी बड़ी गाड़ियां लेकर वो वापस जा चुके हैं। जींद के लोगों को थोड़ी राहत मिली है, जाम से निजात मिली है लेकिन जींद के इस उपचुनाव में वोटर अभी भी कंफ्यूज है कि कौन आगे जा रहा है। जब चुनाव का एलान हुआ था तो लग रहा था कि सरकार जिसकी है यानि बीजेपी आसानी से सीट निकाल लेगी। फिर बड़े बड़े उम्मीदवार जब सामने आये तो मुकाबला तिकोना हो गया। काग्रेस के रणदीप सुरजेवाला के मैदान में उतरने से एक दम समीकरण बदल गये उस समय लग रहा था कि रणदीप जाटों के आधे वोट तो ले जायेंगे। वहीं सामने दिग्विजय चौटाला। जेजेपी की ओर से सबसे मजबूत उम्मीदवार। जेजेपी की गांवों में तो अच्छी पकड़ थी ही उसको थोड़ा खतरा रणदीप के आने से लग रहा था। वहीं जेजेपी ने शहर में भी वोटर को अपने पक्ष मे करने की पूरी कोशिश की। रणदीप सुरजेवाला ने भी शहर में पकड़ बनाई और एक समय ऐसा लगा रहा था कि शहर में बीजेपी औऱ कांग्रेस फीफटी फीफटी वोट ले जा सकते हैं। क्योंकि इससे पहले ये माना जा रहा था कि शहरी वोट तो ज्यादातर बीजेपी को ही मिलेंगे। लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी की ओर से ब्राहम्ण उम्मीदवार उतारने से और जोरदार तरीके से चुनाव लड़ने से बीजेपी को नुक्सान होता दिखा। वहीं इनेलो ने लोकल और कंडेला खाप का उम्मीदवार मैदान में उतारा तो लग रहा था कि ये दिग्विजय चौटाला को नुक्सान पहुंचायेगा। रणदीप सुरजेवाला को प्रदेश के सभी दिग्गज कांग्रेसी नेताओं का साथ तो मिला लेकिन उसके बावजूद वो अकेले पड़ते दिखाई देते हैं।
अब ऐसा लग रहा है कि गांवो में जेजेपी मजबूत है औऱ शहर में बीजेपी ज्यादा वोट ले जायेगी। तो मुकाबला बीजेपी औऱ जेजेपी में रह सकता है। हालांकि इसको लेकर भी फाईट बड़ी क्लोज़ लग रही है। अभी भी कई पेंच फंसे हैं शहरी वोटर को लेकर। कि लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी कितने वोट ले जायेगी वो ज्यादा वोट लेगी तो बीजेपी को उतना नुक्सान होगा। काग्रेस जितने ज्यादा वोट शहर से लेगी बीजेपी को उतना नुक्सान होगा। गांव में इनेलो जितने ज्यादा वोट लेगी जेजेपी को उतना नुक्सान होगा। खैर एक तरफ सरकार जिनके सारे मंत्री लगे हुये हैं वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस जिनके सभी बड़े यौद्दा प्रचार करते नजर आये और एक तरफ नई पार्टी। नयी पार्टी में दो लड़के जिन्होनें पूरे चुनाव को हिलाकर रख दिया । हालांकि एक दिन बाकि जिसमें खुलकर तो प्रचार नहीं कर पायेंगे लेकिन अंदरखाते बहुत कुछ हो सकता है। और वो बहुत कुछ चुनाव के नतीजों पर भारी पड़ सकता है।