कांग्रेस हाईकमान ने तुरूप का इक्का चल दिया है। मतलब प्रियंका गांधी को महासचिव बनाकर और पूर्वी यूपी का प्रभारी बनाकर अपनी सबसे बड़ी चाल चल दी है। राजनीतिक हलकों में लंबे समय से ये बात चल रही थी कि क्यों नहीं कांग्रेस प्रियंका को सक्रिय राजनीति में ले के आती। खैर अब चर्चा ये है कि भाई-बहन की जोड़ी क्या लोकसभा 2019 चुनाव में मोदी को बेदखल कर पायेगी या नहीं। प्रियंका को यूपी में जिस हिस्से का प्रभारी बनाया गया है वहां क्या कमाल करेंगी, इसके अलावा पूरे भारत में उनका क्या रोल होगा।
प्रियंका गांधी के महासचिव बनाये जाने के बाद से ही कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं को जैसे संजीवनी मिल गई हो, उनका जोश देखने लायक है। प्रियंका में कहीं ना कहीं अपनी दादी की तरह एक अलग ही तरह का करिश्मा है। प्रियंका की इस नई पारी को लेकर बीजेपी नेताओं को चिंता तो होगी ही, इसलिये पार्टी हाईकमान को रणनीति पर एक बार फिर से विचार करना पड़ सकता है।
खैर हरियाणा में जींद का उपचुनाव है और मुकाबला तिकोना लग रहा है। प्रियंका को महासचिव बनाये जाने के बाद हरियाणा के कांग्रेसी नेताओं के चेहरे भी खिले – खिले नजर आ रहे हैं। उनमें जोश तो आया ही है साथ ही उनका मानना है कि इस खबर का जींद के चुनाव पर भी असर पड़ेगा और पार्टी को मजबूती मिलेगी। प्रियंका गांधी को महासचिव बनाये जाने से ही जींद के चुनाव पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा, हां अगर प्रियंका अगर देश में होती और वो हाईकमान के करीबी सुरजेवाला के लिये जींद पहुंचती तो निश्चित तौर पर उसका असर पड़ता।
प्रियंका गांधी हालांकि अगले महीने यानि फरवरी से ओहदा संभालेंगी क्योंकि अभी वो विदेश में हैं लेकिन चर्चे हर गली मोहल्ले में होने लग गई है कि प्रियंका के आने के बाद कांग्रेस को कितनी मजबूती मिलेगी या प्रियंका का जादू कितना चलेगा। बीजेपी के साथ-साथ समाजवादी पार्टी और बसपा को भी चिंता होने लग गई है कि प्रियंका के आने के बाद सारे समीकरण बिगड़ सकते हैं। हालांकि राहुल गांधी अभी भी कह रहे हैं कि वो सपा, बसपा के साथ मिलकर मोदी सरकार को उखाड़ने का काम करेंगे।
खैर प्रियंका गांधी को कांग्रेस महासचिव बनाये जाने के बाद 2019 का चुनाव और भी दिलचस्प हो गया है। प्रियंका ना सिर्फ यूपी बल्कि पूरे भारत में रैलीयां करेंगी। मीडिया की नजर मोदी , राहुल और प्रियंका की हर रैली पर रहेगी और इनकी ओर से बोले गये हर एक शब्द को तोला जायेगा।
प्रियंका गांधी में उनकी दादी इंदिरा गांधी जैसी छवि है। उसी तरह का हेयरकट और स्टाईल लेकिन इंदिरा गांधी जैसा रूतबा लाने के लिये प्रियंका गांधी को बहुत मेहनत करनी होगी। उन्हें अगर बीजेपी को चुनौती देनी है तो अपने भाषनों में वो डायलॉग शामिल करने होंगे जो लोगों के दिलों पर लगें। हालांकि मोदी इकलौते ऐसे नेता हैं जो पब्लिक की नब्ज़ बड़े अच्छे से समझ चुके हैं। वो जानते हैं कि अगर वो महाराष्ट्र में हैं तो वहां के लोगों के बारे में क्या बोलना है और अगर वो देश के किसी दूसरे हिस्से में हैं तो वहां क्या।
फिलहाल नजर प्रियंका के विदेश से लौटने के बाद उनके हाव-भाव और उनकी ओर से क्या बोला जाता है क्या प्लान है। इस पर रहेगी लेकिन कुल मिलाकर मीडिया अब कई दिनों तक इस पर ही विश्लेषण करता रहेगा कि प्रियंका मोदी को कैसे चुनौती देगी या राहुल-प्रियंका का साथ क्या कांग्रेस को विजय की दहलीज पर ले जायेगा या नहीं।