16 साल के लंबे अंतराल के बाद आखिरकार पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के आरोपियों को दोषी करार दे दिया गया। चार आरोपियों को दोषी ठहराया गया है जिसमें सच्चा सौदा डेरे का मुखी गुरमीत राम रहीम भी शामिल है। लड़ाई बहुत लंबी थी लेकिन छत्रपति परिवार ने हार नहीं मानी औऱ एक बार फिर जस्टिस जगदीप सिंह ने बाबा को दोषी करार दिया। रामचंद्र छत्रपति दरअसल सिरसा में एक सांध्य दैनिक अखबार चलाते थे जिसका नाम था पूरा सच। पूरा सच अखबार में ही उन्होनें ‘धर्म के नाम पर किए जा रहे हैं साध्वियों के जीवन बर्बाद’ इस शीर्षक से खबर छापी थी। उन्होंने साध्वियों की ओर से प्रधानमंत्री और पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट को लिखी गई चिट्ठी को भी प्रमुखता से पूरा सच में प्रकाशित किया था। इस केस से जुड़े गवाह औऱ बाबा के पूर्व ड्राईवर खट्टा सिंह ने कहा था कि पूरा सच में लगी इन खबरों से बाबा बहुत गुस्से में था और उसने ही अपने आदमियों को छत्रपति को मारने के लिये बोला था। जिसके बाद 24 अक्टूबर 2002 को रामचंद्र पर हमला हो गया।
डेरे के अनुयायी कुलदीप ने गोली मारकर रामचंद्र की हत्या कर दी थी। उसके साथ निर्मल भी था। जिस रिवॉल्वर से रामचंद्र पर गोलियां चलाई गईं, उसका लाइसेंस डेरा सच्चा सौदा के मैनेजर किशन लाल के नाम पर था। गोली लगने के करीब एक महीने बाद अपोलो अस्पताल में रामचंद्र छत्रपति की मौत हो गई।
मौत के बाद परिवार की ओऱ से बाबा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई लेकिन सरकारों और प्रशासन की ओर से कोई कठोर कदम बाबा के खिलाफ नहीं उठाया गया। आखिरकार ये केस सीबीआई के पास गया तो लंबे समय के बाद परिवार को न्याय मिला। तो कुल मिलाकर रामचंद्र की ओर से पूरा सच अखबार में लिखा गया सच सामने आया और कुछ समय पहले बाबा को साध्वियों के साथ यौनशोषण के मामले में 20 साल की सजा सुनाई गई।